राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल के 7 साथियों के खिलाफ पंजाब सरकार NSA की अवधि नहीं बढ़ाएगी। ये सभी आरोपी अजनाला थाने पर हुए हमले के आरोपी हैं। पंजाब सरकार इस मामले में अब इन पर मुकदमा चलाना चाहती है। सूत्रों के अनुसार, इन सातों आरोपियों को पंजाब लाकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। वहीं, अमृतपाल और उसके अन्य दो साथियों को लेकर अभी तक पंजाब सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है।
दरअसल, साल 2023 में हुए अजनाला थाना हमले के मामले में पंजाब पुलिस बड़ी कार्यवाही करने के मूड में है।
अमृतपाल के साथी फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं, उन्हें असम की डिब्रूगढ़ जेल से पंजाब लाया जाएगा। अमृतपाल के नेतृत्व में घातक हथियारों से लैस लगभग 200-250 लोगों की भीड़ ने अपने एक साथी को हिरासत से छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन अजनाला पर हमला किया था।
सूत्रों के मुताबिक, अमृतपाल के 7 साथी फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। इन सभी साथियों को पंजाब लाने का काम सोमवार से शुरू होगा। जानकारी के मुताबिक, ये सभी अजनाला थाने पर हमले के आरोपी हैं पंजाब सरकार इस मामले में इन पर मुकदमा चलाना चाहती हैं, इसलिए इन्हें पंजाब लाकर मुकदमा चलाया जाएगा।
अमृतपाल और उसके अन्य दो साथियों को लेकर अभी तक पंजाब सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। सांसद अमृतपाल सिंह फिलहाल एनएसए के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा ने जेल में बंद पंजाब के सांसद अमृतपाल सिंह को 54 दिनों की अनुपस्थिति की छुट्टी दे दी है, केंद्र ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट को इस बात की जानकारी दी।
यह जानकारी चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सतपाल जैन ने लोकसभा सचिवालय द्वारा 11 मार्च को जारी पत्र पेश करते हुए दी गई थी।
इस पत्र के माध्यम से बताया गया कि अमृतपाल सिंह को 24 जून, 2024 से 2 जुलाई, 2024 तक 22 जुलाई से 2024 से 9 अगस्त, 2024 तक और 25 नवंबर, 2024 से 20 दिसंबर 2024 तक अनुपस्थिति की अनुमति दी गई है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को संसद से निष्कासन की आशंका थी, लेकिन इस पत्र से उसकी चिंता दूर हो जाती है।
अमृतपाल सिंह ने अपनी याचिका में सांसद निधि से जुड़े स्थानीय विकास कार्यों के लिए अधिकारियों और मंत्रियों से मिलने की अनुमति मांगी थी जिस पर खंडपीठ ने कहा कि संसद की कार्यवाही कुछ निश्चित नियमों के तहत चलती है, इसलिए उचित होगा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष को आवेदन दे।