हाईकोर्ट ने एनआईए और दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस, नहीं दी UAPA कैदियों को फोन, वीडियो कॉल की सुविधा

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली सरकार को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें दिल्ली की जेलों में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत कैदियों को वीडियो कॉल सुविधा का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने के नियमों को चुनौती दी गई है।

न्यायमूर्ति डी के उपाध्याय की पीठ ने जेल में बंद आईएसआईएस संदिग्ध बासित कलाम सिद्दीकी की याचिका पर यह नोटिस जारी किया।

सुनवाई के दौरान सिद्दीकी के वकील कार्तिक वेणु ने अदालत को बताया कि 2 सितंबर 2022 के एक सर्कुलर के अनुसार कुछ कैदियों को रोजाना फोन और वीडियो कॉल करने से रोक दिया गया है। दिल्ली जेल नियमावली के नियम 631 के तहत यूएपीए कैदियों को सप्ताह में केवल एक कॉल करने का प्रावधान है, जबकि अन्य कैदियों को पांच कॉल करने की अनुमति है।

वेणु ने कहा कि यूएपीए कैदियों को सप्ताह में केवल एक फोन कॉल की अनुमति देना संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है।

उन्होंने आगे तर्क दिया कि उक्त परिपत्र में ई-मुलाकातों की आवृत्ति भी सप्ताह में दो बार से घटाकर केवल एक बार कर दी गई है और फोन और वीडियो कॉल करने की सुविधा का लाभ उठाने के लिए जांच एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।

ऐसे प्रतिबंधों के कारण कैदी न तो अपने परिवार के सदस्यों और न ही अपने वकीलों से मिल सकते हैं, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को हुर्रियत नेता नईम अहमद खान की इसी तरह की याचिका के साथ संलग्न कर दिया और इस पर विस्तृत सुनवाई का आदेश दिया।