क्या भारत आते-आते कमजोर हुआ कोरोना वायरस? जाने क्या कहना है WHO का?

कोरोना वायरस दुनियाभर के करीब 200 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। इससे करीब 10 लाख 14 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। करीब 53 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 2 लाख 12 हजार लोग ठीक भी हुए हैं। सिर्फ अमेरिका में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 6 हजार पार कर गई है। अमेरिका में अब तक संक्रमण के 2 लाख 45 हजार 66 मामले सामने आए हैं। 6 हजार 75 मौतें हुई हैं। यहां सबसे ज्यादा संक्रमण के करीब 93 हजार मामले न्यूयॉर्क में हैं। इनमें 50 हजार मामले केवल न्यूयॉर्क सिटी के हैं। शहर में लगभग 1 हजार 562 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को यहां 4 हजार नए केस सामने आए और 188 लोगों की मौत हुई है।

यूरोप में कोरोना वायरस संक्रमण के पांच लाख से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है। इस महाद्वीप में कोरोना वायरस के 508,271 मामले दर्ज किए गए हैं और 34,571 लोगों की मौत हुई है। इटली सबसे प्रभावित देशों में है जहां 13,155 लोगों की मौत हुई है जबकि स्पेन में 10,003 लोगों की इस महामारी से जान गई है।

भारत को कम चिंता की जरूरत

वहीं भारत की बात करे तो यहां संक्रमितों की संख्या 2500 से पार चली गई है और 73 लोगों की इस वायरस से मौत हो गई है। भारत में कुछ डॉक्टर मानते हैं कि भारत को कम चिंता की जरूरत है। बीसीजी वैक्सीन, मलेरिया वाले इलाकों में कम संक्रमण के आंकड़े इसकी वजह हैं। साथ ही भारत आते-आते वायरस कमजोर हुआ है? ऐसे में डब्ल्यूएचओ के विशेष प्रतिनिधि डॉ डेविड नवारो का कहना है कि हम सच में उम्मीद करते हैं कि यहां पहुंचते-पहुंचते वायरस की ताकत कम हो जाए। उन तमाम देशों में जहां मौसम गर्म है, वहां लोग संक्रामक बीमारियों के संपर्क में रहते हैं। उनकी प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। हम उम्मीद करते हैं कि यहां कोविड-19 भारतीयों के शरीर में ही हार जाए।

जहां तक बीसीजी इम्यून सिस्टम की वजह से लोगों में संक्रमण से बचाव की बात है, तो मैं इससे भी मदद मिलने की उम्मीद करता हूं। साथ ही, लोगों का एज ग्रुप बीमारी से मुकाबले का अहम फैक्टर है। उम्र की बात करें, तो कई विकासशील देशों में और भारत में उस आयुवर्ग के कम लोग होंगे, जो इससे प्रभावित हों।

डॉ डेविड नवारो ने कहा कि हम इस देश के लोगों के लिए बेहतरी की उम्मीद करते हैं। लेकिन, आप केवल उम्मीद पर जंग नहीं जीत सकते। सभी मेडिकल प्रोफेशनल्स की तरह मेरी भी दिल से कामना है कि भारत में ये वायरस दुनिया में सबसे कम खतरनाक हो। लेकिन हमें तब भी एयतियाती कदम उठाने होंगे। तैयारी करनी होगी। लॉकडाउन के जरिए सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ानी होगी। इलाज की तैयारी करनी होगी, ताकि अगर हमारी उम्मीदें कामयाब नहीं हो पाईं, तो अचानक मुश्किलें न बढ़ जाएं। हमें दूसरे देशों की तरह हालात का सामना न करना पड़े।