सूरत / मां के दूध ने कोरोना को दी मात, 241 संक्रमित माताओं से सिर्फ 13 नवजात को Corona

वक्त कैसा भी हो मां हमेशा अपने बच्चों की रक्षा करती है। कोरोना काल में भी यह बात साबित हुई है। मां का दूध नवजात बच्चों के लिए रक्षा कवच बना हुआ है। कोरोना की वजह से भले ही मां संक्रमित रही हो लेकिन उसका बच्चे को संक्रमण छू भी नहीं पाया। गुजरात में सूरत के दो सरकारी अस्पताल में 241 कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुई। इनमें से मात्र 13 के नवजात ही कोरोना संक्रमित पैदा हुए। वहीं 228 बच्चे कोरोना निगेटिव मिले। इस दौरान कोरोना पॉजिटिव मां का इलाज होता रहा। बच्चे दूध पीते रहे, लेकिन किसी भी बच्चे को कोई समस्या नहीं हुई। कुछ दिन के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

7 हजार डिलीवरी हुई, सभी बच्चे सुरक्षित

कोरोना काल में सिविल और स्मीमेर अस्पताल में 7 हजार डिलीवरी हो चुकी हैं। ज्यादातर बच्चे निगेटिव हैं और सबसे कमाल की बात यह है कि जितने भी बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए, उनमें से किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई। स्मीमेर अस्पताल के गायनी विभाग के एचओडी डॉ अश्विन वाछानी का कहना है कि मां भले भी कोरोना पॉजिटिव हो, पर उसके दूध में इतनी ताकत है कि बच्चे को मामूली समस्या भी नहीं होती। इस बात की पुष्टि कोरोना काल के आंकड़े।

रिसर्च में भी हुई पुष्टि

डिलीवरी के बाद कोरोना पीड़ित मां से उसके नवजात बच्चे को कोरोना का संक्रमण हो रहा है या नहीं, इसे समझने के लिए हाल ही में एक रिसर्च हुई। न्यूयॉर्क के तीन अस्पतालों में 120 नवजातों पर 22 मार्च से 17 मई के बीच रिसर्च हुई। जन्म के 24 घंटे के अंदर इनका कोविड-19 टेस्ट हुआ। 79 नवजातों की 5 से 7 दिन में दोबारा कोविड-19 जांच हुई। इसमें 72 नवजातों का दो हफ्ते बाद एक बार फिर कोरोना टेस्ट हुआ। किसी भी नवजात की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई और न ही कोई लक्षण दिखा। रिसर्च में सामने आया कि अगर जरूरी सावधानी बरती जाए तो संक्रमित मां से जन्मे बच्चे को कोविड-19 नहीं हो सकता। जन्म के दो हफ्ते बाद तक ब्रेस्टफीडिंग कराने और स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट करने पर भी संक्रमण नहीं फैलता।

ब्रेस्टफीडिंग सेफ है

महामारी की शुरुआत में विशेषज्ञों ने मां और नवजात बच्चे को अलग-अलग रखने की बात कही थी। लेकिन हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने कहा, अगर सावधानी बरती जाती है तो मां नवजात को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती है, यह सेफ है। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, अच्छी सेहत के लिए मां और नवजात को एक-दूसरे का शारीरिक स्पर्श बेहद जरूरी है।

इन बातों का रखे ध्यान

शोधकर्ताओं के मुताबिक, नवजात को उठाते वक्त और ब्रेस्टफीडिंग कराते समय कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है। जैसे- मां को सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए, ब्रेस्टफीडिंग कराने से पहले स्तन को वॉश करना जरूरी और हाथों को साबुन से धोएं।

ब्रेस्टफीडिंग के फायदें

ब्रेस्टफीडिंग से शिशु के शारीरिक विकास में मदद करता है
ब्रेस्टफीडिंग से शिशु का मानसिक विकास होता है
शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
माँ का दूध शिशु की पाचन क्रिया को स्वस्थ रखता है
ब्रेस्टफीडिंग से शिशु की सोते वक़्त मृत्यु का ख़तरा कम होता है
ब्रेस्टफीडिंग मां के वज़न को कम करने में मददगार होता है
ब्रेस्टफीडिंग कराने से ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा कम होता है
ब्रेस्टफीडिंग मां और शिशु के रिश्ते को गहरा बनाता है
ब्रेस्टफीडिंग कराने से मां को मधुमेह यानी शुगर का खतरा कम होता है
ब्रेस्टफीडिंग से मां का तनाव कम होता है