सच हुई पीएम मोदी की भविष्यवाणी, 5 महीने में टूटा SP-BSP गठबंधन!

12 जनवरी को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अध्यक्ष मायावती सारे गिले शिकवे भुलाकर गठबंधन का एलान करने एक मंच पर आये लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल सका। लोकसभा चुनाव 2019 में मिली हार के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में दरार आ गई है। इस क्रम में मंगलवार को गाजीपुर पहुंचे सपा प्रमुख ने अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो को साफ संकेत देते हुए कहा कि विधानसभा उपचुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि यूपी में वर्ष 2022 में समाजवादी पार्टी (सपा) की ही सरकार होगी।

वही इससे पहले मायावती ने खुद अगले उपचुनाव के लिए राजनीतिक गठबंधन तोड़ने की घोषणा की और कहा कि अखिलेश यादव और डिंपल यादव से रिश्ते कभी खत्म नहीं होने वाले हैं। साथ ही उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि अगर समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने रुख में बदलाव नहीं लाते हैं तो गठबंधन जारी रखना मुश्किल है।

बसपा प्रमुख ने कहा, 'अगर भविष्‍य में हमें लगता है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव राजनीतिक मतभेदों को दूर करने में सफल रहे, तो हमलोग फिर से एक साथ काम करेंगे। लेकिन, अगर अखिलेश यादव इसमें सफल नहीं होते हैं, तो दोनों (सपा और बसपा) का अलग होकर काम करना ही हमारे लिए बेहतर होगा।

एक्सपायरी डेट 23 मई को पक्की है : नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एसपी-बीएसपी गठबंधन को केर-बेर का संबंध बताया था और कहा था कि इनकी एक्सपायरी डेट 23 मई को पक्की है। नतीजे आएंगे तो दोनों एक-दूसरे के कपड़े फाड़ेंगे। 30 अप्रैल को पीएम मोदी ने एसपी-बीएसपी गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटने की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था, ''एसपी-बीएसपी ने एक दूसरे के खिलाफ राजनीति की है आज सूपड़ा साफ होने के डर से भले ही साथ आ गये हों लेकिन ये स्वार्थ का साथ है। इनकी एक्सपायरी डेट 23 को पक्की है। नतीजे आएंगे दोनों एक-दूसरे के कपड़े फाड़ेंगे।''

आमतौर पर उपचुनाव नहीं लड़ती बसपा

जानकारों की मानें तो बसपा द्वारा उपचुनाव लड़ने का फैसला चौंकाने वाला है, क्योंकि बसपा के इतिहास को देखें तो पार्टी उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती है। वर्ष 2018 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे और सपा को समर्थन दिया था। इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन बना, लेकिन परिणाम मनमाफिक नहीं आए। अब अगर मायावती अकेले उपचुनाव में उतरने का फैसला करती हैं तो गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठाना लाजमी है।

मायावती को 80 में 60 से ज्यादा सीटों की थी उम्मीद

12 जनवरी को मायावती ने लखनऊ के ताज होटल में अखिलेश यादव की मौजूदगी में कहा था कि आज गुरु चेले (पीएम मोदी और अमित शाह) की नींद उड़ाने वाली प्रेस कांफ्रेंस हो रही है। शायद मायावती को 80 में 60 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद थी। लेकिन जब 23 मई को चुनाव नतीजे आए तो परिणाम बिल्कुल उलट थे।

गठबंधन को मात्र 15 सीटें (एसपी-5 और बीएसपी-10) मिली। राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि दोनों ही पार्टी एक दूसरे का वोट ट्रांसफर करने में असफल रहे और इसका फायदा बीजेपी को मिला। 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को पांच सीटें मिली थी और बीएसपी खाता खोलने में भी नाकामयाब रही थी।

अब मायावती ने हार का ठीकरा अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी पर फोड़ा है। उन्होंने सोमवार को दिल्ली में अपने घर पर बीएसपी नेताओं की बैठक के बाद साफ-साफ कहा कि यादव वोट नहीं मिलने की वजह से हार हुई है। अगर यादव वोट करते तो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और चचरे भाई अक्षय और धर्मेंद्र नहीं हारते। उनके इसी बयान के बाद साफ था कि वे अब आगे गठबंधन फिलहाल तो नहीं करेंगी।

हम उपचुनाव में अकेले लड़ेंगे : अखिलेश यादव

पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से जब आज मायावती के बयान को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम पार्टी से विचार करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि हम उपचुनाव में अकेले लड़ेंगे। अगर समाजवादी पार्टी और बीएसपी के रास्ते अलग हुए तो इसका स्वागत है।

अखिलेश यादव ने मायावती के कल के बयान पर सोमवार को कहा था कि मुझे उनके (मायावती) बयान के बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव ने कहा था, ''बहुत दुःख हुआ जानकर आज मायावती जी का रूख समाजवादी पार्टी के लिए। शास्त्र में कहा गया है जो सम्मान पचाना नहीं जानता वो अपमान भी नहीं पचा पाता।''

यूपी की इन सीटों पर होना है उपचुनाव

हाल ही में कई विधायकों ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इसके बाद राज्य में कई सीटें खाली हुई हैं। अब कुछ ही समय के बाद राज्य की कुल 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उसमें गोविंदनगर, लखनऊ कैंट, जैदपुर, मानिकपुर और जलालपुर जैसी सीटें शामिल हैं। बसपा कम ही उपचुनाव लड़ती है, लेकिन इस बार उसने भी कह दिया है कि वह अकेले ही किस्मत आजमाएगी।