
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को 14 महीने की हिरासत के बाद मंगलवार को रिहा कर दिया गया है। बीते साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को संघशासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद से ही महबूबा मुफ्ती हिरासत में थीं। महबूबा एक साल, दो महीने और 9 दिन बाद हिरासत से रिहा हुई हैं यानी कुल 436 दिन बाद।
महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बाद नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फारूक और उमर अब्दुल्ला उनसे मिलने पहुंचे। अब्दुल्ला पिता-पुत्र ने इस मुलाकात को गैरराजनीतिक करार दिया है। मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि ये सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात थी और इसके पीछ कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।
जारी किया ऑडियो मेसेजइससे पहले महबूबा ने रिहा होने के बाद 1।23 मिनट का ऑडियो जारी किया। कहा- ‘मैं आज एक साल से ज्यादा अर्से के बाद रिहा हुई हूं। इस दौरान 5 अगस्त 2019 के काले दिन का काला फैसला हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता रहा। मुझे अहसास है कि यही कैफियत जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी। हममें से कोई भी शख्स उस दिन की डाकाजनी और बेइज्जती को कतई भूल नहीं सकता।’
‘हम सबको इस बात को याद करना होगा कि दिल्ली दरबार ने पिछले साल 5 अगस्त को गैर-आइनी, गैर-जम्हूरी, गैर-कानूनी से जो हक छीन लिया, उसे वापस लेना होगा। उसके साथ-साथ मसले कश्मीर जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर के हजारों लोगों ने अपनी जान न्योछावर की, उसको जारी रखने के लिए हमें अपनी जद्दोजहद जारी रखनी होगी। मैं मानती हूं कि यह राह कतई आसान नहीं होगी। लेकिन, मुझे यकीन है कि हम सबका हौसला और अजम ये दुश्वार रास्ता तय करने में मॉविन होगा। आज जबकि मुझे रिहा किया गया है, मैं चाहती हूं कि जम्मू-कश्मीर के जितने लोग मुल्क के मुख्तलिफ जेलों में बंद हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए।’
बता दे कि जम्मू-कश्मीर को संघशासित प्रदेश घोषित करने के ऐतिहासिक फैसले के बाद फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को लेकर बड़ी बवाल हुआ था। तब संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने इस मसले पर जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि फारूक अब्दुल्ला को नजरबंद नहीं रखा गया है वो अपनी इच्छा से बाहर निकल सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर को संघशासित प्रदेश घोषित किए एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी दोनों ने ही इस निर्णय का तगड़ा विरोध किया है। हाल ही में फारूक अब्दुल्ला के चीन संबंधी एक बयान को लेकर बवाल खड़ा हो गया है।
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब्दुल्ला ने कहा था, ‘जहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी चीन के राष्ट्रपति को यहां बुलाया नहीं। हमारे वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) ने उन्हें गुजरात में बुलाया। मगर उन्हें वह पंसद नहीं आया और उन्होंने आर्टिकल 370 को लेकर कहा कि हमें यह कबूल नहीं है। और जब तक आप आर्टिकल 370 को बहाल नहीं करेंगे, हम रुकने वाले नहीं हैं। अल्लाह करे कि उनके इस जोर से हमारे लोगों को मदद मिले और अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल हो।’
संबित पात्रा का जवाबइस पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने जवाब दिया, 'एक तरह से फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित ठहराते हैं, वहीं दूसरी ओर एक देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे।’
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पूर्व में दिए गए बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया, ‘राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’
आठ महीने में चार बार नजरबंदी का स्थान बदलाआठ महीने में चार बार महबूबा को नजरबंद रखने का स्थान बदला गया था। सबसे पहले उन्हें श्रीनगर के हरि निवास गेस्ट हाउस में रखा गया था। दूसरी बार उन्हें चश्मा शाही इलाके में पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस भेज दिया गया था। इसके बाद से उन्हें श्रीनगर के ही ट्रांसपोर्ट यार्ड के सरकारी क्वार्टर में रखा गया था। चौथी बार उन्हें अस्थाई जेल से किसी दूसरे स्थान पर भेजा गया।