बीच रास्ते में पाकिस्तान ने रोकी समझौता एक्सप्रेस, आइए जानते है इस ट्रेन के बारें में...

भारतीय सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने नाराजगी जाहिर करते हुए पहले भारत के साथ व्यापार पर रोक लगाई वही अब दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस को भी रोक दिया है। पाकिस्तान का कहना है कि वह अपना ड्राइवर नहीं भेजेगा। इसका असर भारत आने और यहां से जाने वाले लोगों पर पड़ रहा है। अब भारत ने इस समस्या को हल करने के लिए ट्रेन और इंजन भेजने का फैसला किया है। बता दे,समझौता एक्सप्रेस वो ट्रेन है भारत और पाकिस्तान को आपस में जोड़ती है। कुछ ही महीने पहले भी पाकिस्तान ने बालाकोट में भारतीय एयरस्ट्राइक के बाद इस ट्रेन सेवा पर रोक लगा दी थी। मई में ये बहाल हो गई थी लेकिन अब फिर रोक दी गई। दरहसल, जब-जब भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो उसका असर इस ट्रेन पर जरूर पड़ता है।

बता दे, समझौता एक्सप्रेस का इतिहास 43 साल पुराना है। दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते के बाद दोनों देशों के बीच एक ट्रेन शुरू करने पर सहमति बनी थी। दरअसल 1965 के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच ट्रेन चलनी बंद हो गई थी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इस रूट की पटरियां क्षतिग्रस्त हो गई थीं। फिर इसका संचालन रोक दिया गया। वर्ष 1971 में हुए समझौते के आधार पर 1976 में समझौता एक्सप्रेस शुरू हुई। इस ट्रेन को अटारी-लाहौर के बीच शुरू करने का फैसला किया गया। शुरुआत में इसे रोज चलाया जाता था। 1994 में इसका संचालन हफ्ते में दो दिन कर दिया गया। भारत से यह दो बार- बुधवार व रविवार को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रात 11:10 बजे निकलती है।

दोनों देशों में आखिरी सीमाई स्टेशन मुनाबाओ और खोखरापार हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच भारी मात्रा में खाद्य पदार्थ व अन्य कई तरह के व्यापार होते हैं। बहुत सा सामान इस ट्रेन से लाया जाता है। ये दोनों देशों के बीच व्यापार का भी एक बड़ा साधन मानी जाती है।

समझौता एक्सप्रेस के लिए दिल्ली से एक लिंक ट्रेन चलती है, जिसे थार लिंक एक्सप्रेस के नाम से जानते हैं। इसके लिए पुरानी दिल्ली अलग से प्लेटफॉर्म बनाया गया है। समझौता एक्सप्रेस में कुल छह शयनयान और एक वातानुकूलित तृतीय श्रेणी (3rd AC) कोच होते हैं। दिल्ली से निकलने के बाद अटारी तक बीच में इसका कोई स्टॉपेज नहीं है। बताया जाता है कि इसे भारतीय रेल की राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस व अन्य प्रमुख ट्रेनों के ऊपर तरजीह दी जाती है ताकि इसमें कोई देर ना हो। लाहौर से वापसी के समय समझौता एक्सप्रेस भारत में सोमवार और गुरुवार को पहुंचती है। इस दौरान इस ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड नहीं बदले जाते।

बता दे, आजादी से पहले भारत पाकिस्तान के बीच भी एक ट्रेन चला करती थी। इसका नाम सिंध मेल था। साल 1892 में हैदराबाद-जोधपुर रेलवे के तहत इसे शुरू किया गया था। हैदराबाद जोधपुर रेलवे लाइन को पाकिस्तान के करांची पेशावर रेलवे लाइन से जोड़ती है। ये ट्रेन सेवा काबुल तक जाती थी।

फरवरी 2007 समझौता एक्सप्रेस में एक जबर्दस्त धमाका हुआ। इसमें 68 लोगों की मौत हो गई और 12 लोगों के घायल होने का दावा किया जाता है। तब ट्रेन दिल्ली से लाहौर के लिए निकली थी। मारे गए लोगों में अधिकांश पाकिस्तानी मूल के लोग थे। एक पुलिस एफआईआर के अनुसार, समझौता एक्सप्रेस में दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलेव स्टेशन के पास रात 23:53 बजे धमाका हुआ था। इतना ही दो सूटकेस बम बरामद भी किए गए थे। मामले में सालों तक जांच-पड़ताल चलती रही, लेकिन सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को जमानत मिल गई।