
यूरोप के कई हिस्सों में अचानक एक भीषण बिजली संकट पैदा हो गया है। स्पेन और पुर्तगाल सहित कई क्षेत्रों में भारी ब्लैकआउट देखा गया, जिससे हवाई उड़ानों से लेकर मेट्रो सेवाओं तक का संचालन बाधित हो गया। दोपहर के समय मैड्रिड से लेकर लिस्बन तक की बड़ी आबादी अंधेरे में डूब गई। हालात को देखते हुए दोनों देशों ने तत्काल आपात प्रोटोकॉल लागू कर दिए हैं। फिलहाल, ब्लैकआउट के कारणों की गहन जांच जारी है, जिसमें साइबर हमले की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा है।
स्पेन के नेशनल ग्रिड ऑपरेटर 'रेड एलेक्ट्रिका' ने बयान जारी कर कहा कि पूरे देश में बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए सेक्टर कंपनियों के साथ मिलकर कई ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं, पुर्तगाल के ग्रिड ऑपरेटर 'ई-रेडेस' ने जानकारी दी कि यह संकट यूरोपीय पावर ग्रिड में आई तकनीकी गड़बड़ी के कारण उत्पन्न हुआ है। प्रारंभिक जांच में वोल्टेज असंतुलन को इस आपातकालीन स्थिति का मुख्य कारण माना जा रहा है, जिससे बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
ब्लैकआउट से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्तब्लैकआउट के चलते ट्रैफिक लाइटें बंद हो गईं, मेट्रो सेवाएं रुक गईं और सड़कों पर अव्यवस्था फैल गई। अस्पतालों में आवश्यक सेवाएं बैकअप जनरेटर के सहारे संचालित की जा रही हैं। प्रशासन ने अस्पतालों को कंप्यूटर बंद करने और बिजली बचाने के अन्य उपाय अपनाने के निर्देश दिए हैं। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह संकट कितनी देर तक जारी रहेगा। स्पेन में स्थिति पर नियंत्रण के लिए एक विशेष संकट प्रबंधन समिति का गठन भी कर लिया गया है।
साइबर हमले की भी जांच जारीस्पेनिश अधिकारियों ने संकेत दिया है कि ब्लैकआउट के पीछे साइबर हमले की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इसकी गहन जांच की जा रही है। इससे पहले भी यूरोप ने तकनीकी गड़बड़ियों के चलते बड़े स्तर पर ब्लैकआउट का सामना किया है। उदाहरण के तौर पर, 2003 में स्विट्जरलैंड में एक पेड़ से बिजली लाइन कटने के कारण पूरा इटली अंधेरे में डूब गया था। ऐसे में मौजूदा संकट के पीछे तकनीकी त्रुटि और साइबर हमले दोनों संभावनाओं पर गंभीरता से जांच की जा रही है।
सार्वजनिक अपील और ऊर्जा नीति पर सवालस्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्पेनिश प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे आपातकालीन सेवाओं को अनावश्यक कॉल न करें, क्योंकि टेलीफोन केंद्र पहले से ही कॉल्स से भरे हुए हैं। यूरोपीय आयोग वर्षों से देशों के बीच ऊर्जा प्रणाली के बेहतर एकीकरण की आवश्यकता पर बल देता रहा है, लेकिन प्रगति अपेक्षाकृत धीमी रही है। मौजूदा संकट ने एक बार फिर इस दिशा में गंभीरता से सोचने और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित कर दिया है।