DRDO को मिली पहली प्रलय मिसाइल बनाने की अनुमति, रॉकेट फोर्स को बनाएगी मजबूत

नई दिल्ली। थल सेना को और मजबूती देने और दुश्मनों पर दूर से ही सटीक निशाना लगाने में सक्षम देश की पहली प्रलय टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल रेजिमेंट बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने अनुमति दे दी है। प्रलय को बनाने की जिम्मेदारी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की है। नई मिसाइल अपने निशाने पर बिल्कुल सटीक पहुंचती है। यह एक ऐसी मिसाइल है, जिसे रसायन या गैस को ले जाने वाले मजबूत धातु के कंटेनर में ले जाया जा सकता है। प्रलय की स्पीड 1200 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, लेकिन यह बढ़कर 2000 किमी प्रतिघंटा तक जा सकती है। यानी हवा से निशाने पर गिरते समय इसकी गति ज्यादा हो जाती है।

भारतीय सेना की रॉकेट फोर्स को मजबूत बनाएगी प्रलय मिसाइल


इस मिसाइल के जरिए भारतीय सेना अपनी रॉकेट फोर्स को मजबूत बनाने जा रही है। सामरिक मिसाइलें कम दूरी के हथियार हैं जिन्हें तत्काल युद्ध क्षेत्र में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। अधिकतर समय इसकी रेंज 300 किमी से कम होती है। अधिकतर सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलें ऐसी हैं, जिन्हें कहीं भी और कभी भी ले जाया जा सकता है। ऐसे में उनका तुरंत उपयोग किया जा सकता है। वे अपने लक्ष्य पर प्रहार करने के लिए विभिन्न प्रकार के हथियार भी ले जा सकते हैं।

पूर्वी चीफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने दिया था इसका आइडिया

पिछले साल दिसंबर में ही रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए प्रलय मिसाइल की एक यूनिट को क्लियरेंस दी थी। प्रलय मिसाइल कम दूरी की सतह से हवा और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर है। इस मिसाइल का आइडिया पूर्वी चीफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का था।




भारत के पास मौजूद ब्रह्मोस मिसाइल की लागत बहुत अधिक है और यह केवल 200 किलोग्राम वजन ही उठा सकती है। इस वजह से भारतीय सेना को 150 किलोमीटर से ज्यादा की मारक क्षमता वाली एक ऐसी मिसाइल की जरूरत थी, जो बड़ा पेलोड भी ले जा सके। वारहेड के आकार के आधार पर इस मिसाइल की मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर है।

यह 10 मीटर से भी कम दूरी पर भी सटीक निशाना लगा सकती है। मिसाइल 350 किलोग्राम से 700 किलोग्राम के बीच उच्च विस्फोटक पूर्वनिर्मित विखंडन वारहेड, पेनेट्रेशन कम ब्लास्ट (पीसीबी), या रनवे डेनियल पेनेट्रेशन सबमिशन (आरडीपीएस) ले जा सकती है।