
मध्य प्रदेश के जबलपुर में आयोजित एक विशाल धार्मिक समारोह में बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर हुंकार भरी। उनके राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत भाषण ने न केवल उपस्थित श्रद्धालुओं को जोश से भर दिया, बल्कि देशभर में चर्चा का केंद्र भी बन गया। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की तीव्र निंदा करते हुए उन्होंने कहा, “यह अब वह भारत नहीं है जो चुप बैठता था। यह नया भारत है, जो दुश्मन के घर में घुसकर उसे सबक सिखाता है।”
भारतीय सेना की वीरता को करते हुए नमन, पंडित शास्त्री ने कहा कि उन्हें देश की सेना पर अत्यधिक गर्व है। उन्होंने कहा, “हमारे वीर जवान हर हाल में देश की रक्षा करते हैं और हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। यही असली नायक हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब भारत सहनशील नहीं, बल्कि निर्णयात्मक और उत्तरदायी राष्ट्र बन चुका है। पाकिस्तान पर तीखा कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “जो देश अपनी लुगाइयों को नहीं संभाल पा रहा, वो देश क्या खाक संभालेगा?”
पाकिस्तान – भारत का बिगड़ैल बेटापंडित शास्त्री ने पाकिस्तान की सामाजिक और प्रशासनिक विफलताओं पर निशाना साधते हुए उसे भारत का “बिगड़ैल बेटा” बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब वक्त आ गया है कि इस बेटे को अनुशासन सिखाया जाए। उन्होंने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) पर भी अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा, “POK केवल जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का हिस्सा है, जिसे हर हाल में वापस लाया जाना चाहिए।”
कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहनाअपने उद्बोधन में पंडित शास्त्री ने भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी का उल्लेख कर उनकी कार्यशैली की प्रशंसा की। हालांकि उन्होंने ज्यादा विवरण नहीं दिया, लेकिन यह जरूर स्पष्ट किया कि भारत के लिए समर्पित हर नागरिक – चाहे वह किसी भी धर्म या पृष्ठभूमि से हो – प्रशंसा और सम्मान का पात्र है। यह उनके समावेशी दृष्टिकोण का प्रमाण है। उन्होंने आगे कहा, “देश के दो असली हीरो होते हैं – एक जो सीमा पर खड़ा है और दूसरा जो खेत में। दोनों के परिश्रम और बलिदान से ही भारत का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध है।”
नया संत – नया संदेशपंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का यह भाषण युवाओं में ऊर्जा और जागरूकता का संचार करता है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि आज के संत केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और सामाजिक चेतना में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। उनका पाकिस्तान पर किया गया व्यंग्य – “लुगाइयां संभाल नहीं पा रहा, देश क्या संभालेगा?” – न केवल तीखा राजनीतिक संदेश था, बल्कि एक स्पष्ट संकेत भी कि आज भारत की जनता और संत, दोनों अब चुप नहीं बैठेंगे।