डेल्टा प्लस के खतरे से बचाने में लॉकडाउन, वैक्‍सीन और कोविड प्रोटोकॉल बनेगा मजबूत हथियार: डॉ गुलेरिया

देश में एक तरफ जहां कोरोना के रोजाना मिलने वाले मरीजों की संख्या में गिरावट आ रही है वहीं, दूसरी तरफ कोरोना की तीसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी है। दुनियाभर में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के 'डेल्टा प्लस' वेरिएंट के मरीज भारत में भी मिले है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार कोरोना का यह खतरनाक वैरिएंट अब 4 राज्‍यों (तमिलनाडु, केरल, महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश) में फैल चुका है। इन राज्‍यों में अब तक इसके कुल 40 मरीज सामने आ चुके है। डेल्टा प्लस वैरिएंट के सबसे ज्यादा 21 केस महाराष्ट्र और 6 केस मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा केरल, तमिलनाडु में 3-3, कर्नाटक में 2 और पंजाब, आंध्र प्रदेश और जम्मू में एक-एक मामले में इस वैरिएंट की पुष्टि हुई है। भारत में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने लॉकडाउन, वैक्सीनेशन और कोविड प्रोटोकॉल को कोरोना संक्रमण की इस लड़ाई में मजबूत हथियार बताया है।

डॉ गुलेरिया ने कहा, 'यह कहना अभी मुश्किल है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत में कोई समस्या पैदा कर रहा है, लेकिन दुनियाभर में जिस तरह से कोरोना वायरस के डेल्‍ट प्‍लस वैरिएंट बढ़ रहा रहा है उसे देखते हुए हम सुरक्षा नियमों से समझौता नहीं कर सकते हैं। हमें कोरोना वायरस को लेकर दर्ज किए गए उन सभी मामलों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है, जहां इसमें किसी भी तरह की बढ़ोतरी देखी जाती है।'

डॉ गुलेरिया ने कहा, 'हमें अभी से तीसरी लहर से बचने के लिए उपाय करने और सतर्क रहने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें उन सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना होगा जो हम अभी तक करते आए हैं। हमें आक्रामक तरीके जांच और उसे ट्रैक करने की जरूरत है, ताकि अधिक-से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके।'

फर्क नहीं पड़ता कि देश में कौन का वैरिएंट आया है

एम्स के निदेशक ने कहा कि आज के हालात को देखते हुए हम कह सकते हैं कि इससे किसी भी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश में कौन का वैरिएंट आया है। जब तक देश के नागरिक कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन सही तरीके से करते रहेंगे, तब तक कोरोना के किसी भी संक्रमण से बचा जा सकेगा। उन्होंने कहा, किसी भी वेरिएंट पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन, वैक्सीनेशन और प्रोटोकॉल ये तीन सबसे बेहतर हथियार हैं।

डॉ गुलेरिया के कहा कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए हर किसी को चौकन्‍ना रहने की जरूरत है। दुनियाभर में जिस तरह से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है, उसे देखते हुए भारत में भी तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में देश में तीसरी लहर आएगी लेकिन इससे बचा जा सकता है।

डॉ गुलेरिया ने कहा, 'कोरोना की दूसरी लहर जैसे-जैसे कमजोर पड़ती जा रही है वैसे-वैसे लॉकडाउन में छूट दी जाने लगी है। उन्‍होंने बताया कि कुछ अधिकारियों ने अभी से स्कूल खोलने पर विचार करने की जरूरत का मुद्दा उठाया है। मुझे निजी तौर से लगता है कि हमें स्कूल खोलने की आवश्यकता है और ऐसा करने के लिए एक रणनीति भी तय करनी होगी। स्कूलों को अलग-अलग स्तर पर खोला जाना चाहिए।'

तीसरी लहर आने के कोई सबूत नहीं

देश पर भले ही कोरोना की तीसरी लहर का संकट मंडरा रहा है लेकिन इस बीच देश के टॉप जीनोम सिक्वेंसर का मानना है कि कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से तीसरी लहर आने के कोई सबूत नहीं हैं। द इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के डायरेटर डॉ अनुराग अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि हमें इस बात की चिंता होनी चाहिए कि कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है। उनका कहना है कि कोरोना के इस म्यूटेंटेड स्वरूप का तीसरी लहर से कोई लेना-देना नहीं है।

NDTV के मुताबिक, डॉ अग्रवाल ने कहा कि डेल्टा प्लस (Delta Plus) की बजाय हमें यह चिंता करनी चाहिए कि कोरोना की दूसरी लहर को कमजोर करने के दौरान हमारी सतर्कता कम न हो। इस वैरिएंट का फिलहाल कोरोना की तीसरी लहर से कोई संबंध नहीं दिखता।

उन्होंने कहा कि डेल्टा का कोई भी वैरिएंट भारत के लिए चिंता का विषय है, लेकिन हमारी सबसे बड़ी चिंता है कि कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है और इसको लेकर ढिलाई हम पर भारी पड़ सकती है।

उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई सबूत नहीं है कि डेल्टा प्लस डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है या फिर ये वैरिएंट कोरोना की तीसरी बड़ी लहर का कारण बन सकता है।

उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ने महाराष्ट्र में जून महीने में 3500 से ज्यादा सैंपल की सिक्वेंसिंग की है, जो अप्रैल और मई के हैं। इसमें हम देख सकते हैं कि इसमें डेल्टा प्लस वैरिएंट भी बहुत ज्यादा है, लेकिन यह अभी भी 1% से कम है। जहां कोरोना के ज्यादा मामले मिल रहे थे, वहां भी यह वैरिएंट बहुत ज्यादा नहीं हैं।