
इंदौर के चर्चित ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी की निर्मम हत्या के मामले में मुख्य आरोपी उसकी पत्नी सोनम के साथ-साथ चार अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस हाई-प्रोफाइल मर्डर केस में बुधवार को उस समय एक भावनात्मक मोड़ आ गया जब हत्या की साजिश रचने वाली सोनम का भाई गोविंद अचानक राजा के निवास पर उनके परिवार से मिलने पहुंचा। इस मुलाकात के दौरान गोविंद ने राजा की मां से भावुक होकर मुलाकात की, उनके पैर छूकर माफी मांगी, और गले लगकर फूट-फूटकर रोने लगा, जिससे माहौल बेहद भावुक हो गया। इसी मुलाकात के बाद गोविंद ने मीडिया से बातचीत करते हुए उन तमाम सवालों के जवाब दिए जो इस हत्याकांड से जुड़ी जनता की जिज्ञासा को लेकर उठाए जा रहे हैं।
अफेयर के आरोपों से किया इनकारमीडिया से बात करते हुए गोविंद ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज कुशवाहा और सोनम के बीच किसी भी तरह का प्रेम संबंध नहीं था। उन्होंने दावा किया, “राज तो रक्षाबंधन पर मेरे साथ सोनम के पास जाकर राखी बंधवाता था। इस तरह के रिश्ते में प्रेम का कोई स्थान नहीं हो सकता।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे सिर्फ इतना बताया गया था कि वो गुवाहाटी गई है, शिलॉन्ग की कोई जानकारी मुझे नहीं थी।” इसी बातचीत में उन्होंने मेघालय सरकार पर लगाए गए अपने आरोपों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी और यह भी खंडन किया कि सोनम और राज ने गुना में कोर्ट मैरिज की कोशिश की थी।
क्या सगाई से दुखी थी सोनम?सोनम की राजा के साथ सगाई के बाद उदास रहने की अफवाहों को खारिज करते हुए गोविंद ने बताया, “वह सगाई के बाद बेहद खुश थी। हमारे घर में दो महीने तक शादी की तैयारियाँ और शॉपिंग होती रही। भले ही राजा के घर यह सब एक महीने बाद शुरू हुआ हो, लेकिन हमारे यहाँ वो पूरे मन से शामिल रही और उत्साहित भी थी।”
क्या मां को दी गई थी धमकी?सोनम द्वारा शादी न करने की धमकी दिए जाने की अफवाह पर उन्होंने कहा, “न तो मुझे और न ही मेरी मां को इस बारे में कोई जानकारी थी। अगर हमें ये पहले से पता होता, तो हम शादी की योजना ही क्यों बनाते? ये सारी बातें अब हमें मीडिया के ज़रिए पता चल रही हैं।
जल्दबाजी में हुई शादी की सफाईगोविंद ने शादी जल्दी करवाने की वजह भी स्पष्ट की: “हमने जल्दबाजी में शादी इसलिए की क्योंकि 11 मई को आखिरी शुभ मुहूर्त था। उसके बाद दो साल तक कोई भी शुभ तिथि उपलब्ध नहीं थी। दोनों की लाल पूजा के अनुसार भी अगले दो वर्षों तक कोई अनुकूल मुहूर्त नहीं था, इसलिए फैसला जल्दी लेना पड़ा।”