अफगानिस्तान में लाइब्रेरी के लिए भारत द्वारा की जाने वाली फंडिंग को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी पर तंज कसा है। दरअसल पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से हुई मुलाकात के दौरान उन्हें अफगानिस्तान की इस लाइब्रेरी को वित्तीय मदद देने की जानकारी थी। इस पर ट्रंप ने बुधवार को तंज कसते हुए कहा कि अफगानिस्तान में लाइब्रेरी के लिए पैसे देना किसी काम का नहीं है, इसका कौन इस्तेमाल करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को नए साल की पहली कैबिनेट बैठक में कहा 'मुलाकात के दौरान पीएम मोदी मुझे बराबर बता रहे थे कि उन्होंने अफगानिस्तान में लाइब्रेरी बनवाई है। क्या आप जानते हैं कि वो क्या था। वह हम लोगों के बीच बीते हुए पांच घंटे थे।' ट्रंप ने आगे चुटकी लेते हुए कहा 'ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि मैं यह कह दूं, 'ओह, लाइब्रेरी के लिए धन्यवाद। मुझे नहीं पता कि आखिर अफगानिस्तान में लाइब्रेरी का इस्तेमाल करेगा कौन।' हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप किस प्रोजेक्ट पर बात कर रहे थे। लेकिन अगर भारत की बात करें तो भारत ने 2001 के आतंकी हमले के बाद से अब तक अफगानिस्तान को 3 अरब डॉलर की मदद की है। इन प्रोजेक्टों में काबुल में बेहतर हाईस्कूलों का निर्माण और भारत में एक हजार अफगाली छात्रों को हर साल स्कॉलरशिप देना शामिल है।
2015 में अफगानिस्तान की संसद का उद्घाटन करते समय पीएम नरेंद्र मोदी ने अफगानी युवाओं को आधुनिक शिक्षा देने की घोषणा की थी। साथ ही प्रोफेशनल स्किल्स को बढ़ाने का वादा किया था।
भारत ने अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाई को लेकर हमेशा उत्साह दिखाया है क्योंकि तालिबान शासन के दौरान भारत विरोधी आतंकवाद काफी बढ़ रहा था। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में भारत की बढ़ती भूमिका ने पाकिस्तान को सतर्क कर दिया है क्योंकि पाकिस्तान की आईएसआई तालिबान के संपर्क में थी। बता दें कि ट्रंप ने पिछले महीने अमेरिका से अपने सारे दो हज़ार सेना के जवानों को सीरिया से बाहर कर दिया था और अफगानिस्तान में मौजूद 14 हज़ार सैनिकों की संख्या भी आधी कर दी थी।