NPR पर अमित शाह को देनी पड़ी सफाई, कहा - नाम नहीं होने पर भी नहीं जाएगी नागरिकता

भारत की जनगणना 2021 की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मोदी कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी है। सीएए और एनआरसी पर विवाद के बाद अब राजनीतिक हलकों में एनपीआर के फैसले की टाइमिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसपर केंद्र सरकार ने साफ किया है कि एनपीआर में कुछ भी नया नहीं है।

किसी अल्पसंख्यक को NPR से डरने की कोई जरूरत नहीं : अमित शाह

NPR पर मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के बीच कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि NPR में नाम नहीं होने पर किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी। इसे लेकर विपक्ष अफवाह फैला रहा है। किसी अल्पसंख्यक को NPR से डरने की कोई जरूरत नहीं है।

भारत में NRC को लेकर भी अमित शाह ने कहा कि इस पर अभी बहस करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। पीएम मोदी सही कह रहे हैं, इस पर अभी तक मंत्रिमंडल या संसद में कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मैं आज यह स्पष्ट रूप से कहता हूं कि NRC और NPR के बीच कोई संबंध नहीं है।

गृह मंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार की तरफ से संवाद में कमी
को लेकर कहा कि मुझे यह स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं है कि हमारी तरफ से कुछ तो कमी रही होगी, लेकिन संसद में मेरा भाषण देख लीजिए, उसमें मैंने सब स्पष्ट कर दिया था कि नागरिकता जाने का कोई सवाल नहीं है।

किसी भी कागज या सबूत दिखाने की जरूरत नहीं

वही केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि रजिस्टर के सभी आंकड़े मोबाइल ऐप पर लिए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने यह भी बताया कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि एनपीआर पहली बार 2010 में यूपीए की सरकार में शुरू हुआ था। सारे लोगों का एक कार्ड मनमोहन जी ने वितरित किया था। 2015 में इसका अपडेशन हुआ था। इसमें कोई भी प्रूफ देने की जरूरत नहीं है। न कागज देना है न बॉयोमेट्रिक है। आप जो कहोगे वही सही है, क्योंकि हमें जनता पर भरोसा है। इसे सभी राज्यों ने स्वीकार किया है। सभी राज्यों ने इसके नोटिफिकेशन निकाले हैं। इसमें कुछ भी नया नहीं है। जो भी भारत में रहता है उसकी गणना इसमें होगी।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2021 में जनगणना की प्रक्रिया के लिए कैबिनेट ने 8,754.23 करोड़ रुपये को मंजूरी दी है। और 3,941.35 करोड़ रुपये राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने के लिए जारी किए गए हैं। उन्होंने इस योजना की जरूरत के बारे में बताया कि सरकारी योजनाओं का लाभ सभी और सही लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए इस प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि इसमें किसी तरह की बायोमीट्रिक (Biometric) जानकारी भी नहीं मांगी जाएगी।

क्या है पूरी प्रक्रिया?

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में हर नागरिक की जानकारी रखी जाएगी। ये नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। पॉपुलेशन रजिस्टर में तीन प्रक्रियाएं होगी। पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। वहीं दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच होगी।

क्या है NPR?

सिटीजनशि‍प (रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटीजन्स ऐंड इश्यू ऑफ नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स) रूल्स 2003 में जनसंख्या रजिस्टर को इस तरह से परिभाषि‍त किया गया है: 'जनसंख्या रजिस्टर का मतलब यह है इसमें किसी गांव या ग्रामीण इलाके या कस्बे या वार्ड या किसी वार्ड या शहरी क्षेत्र के सीमांकित इलाके में रहने वाले लोगों का विवरण शामिल होगा।'

नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है।

NPR और NRC में अंतर

एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छुपा है, वहीं इसमें छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NPR में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।

बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है। एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है।