दिल्ली में विधायकों की अनदेखी कर रहे अधिकारी, स्पीकर ने की शिकायत, AAP का BJP पर तंज

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य सचिव धर्मेंद्र को पत्र लिखकर अधिकारियों के व्यवहार को लेकर गंभीर शिकायत की है। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया कि दिल्ली के अधिकारी विधानसभा सदस्यों (विधायकों) के पत्रों, फोन कॉल्स या मैसेज का जवाब नहीं देते, जिससे जनप्रतिनिधियों को अपने कार्यों में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के निर्देश

विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य सचिव से अनुरोध किया कि वे प्रशासनिक सचिवों, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, डीडीए सहित अन्य विभागों के प्रमुखों को इस समस्या से अवगत कराएं और सुनिश्चित करें कि विधायकों के संवाद को उचित प्राथमिकता दी जाए।

नौकरशाही को दी सख्त चेतावनी

बुधवार को लिखे पत्र में गुप्ता ने नौकरशाही को चेतावनी देते हुए कहा कि उनके संज्ञान में ऐसे कई मामले आए हैं, जहां विधायकों द्वारा भेजे गए पत्रों, फोन कॉल्स या मैसेज को अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया। उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि इस रवैये पर रोक लगाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग, दिल्ली सरकार और भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों को दोहराने की जरूरत है।

सौरभ भारद्वाज का बीजेपी पर तंज, कहा – अब समझ आ रही है नौकरशाही की मनमानी

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों तक दिल्ली के अधिकारियों को सिखाया गया था कि वे मंत्रियों और विधायकों की बात न सुनें, उनके फोन कॉल न उठाएं और चिट्ठियों का जवाब न दें। अब, जब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है, तो उन्हें नौकरशाही की मनमानी समझ आ रही है।

“पहले BJP ने किया अफसरों का समर्थन, अब सिखा रही कर्तव्य”

सौरभ भारद्वाज ने कहा, पहले भाजपा इन्हीं अधिकारियों का समर्थन करती थी और आम आदमी पार्टी को हर मुद्दे पर ज्ञान देती थी। लेकिन अब जब खुद सत्ता में आई है, तो अधिकारियों को कर्तव्य सिखाया जा रहा है। आज भाजपा को समझ में आ गया है कि लोकतंत्र को कमजोर करने से देश और जनता को ही नुकसान होता है।”

दिल्ली में BJP ने 48 सीटों पर दर्ज की जीत

गौरतलब है कि दिल्ली की नौकरशाही का आम आदमी पार्टी सरकार के साथ पहले भी टकराव देखने को मिला था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर लंबे समय बाद दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाया, जबकि आम आदमी पार्टी को 22 सीटें मिलीं।