रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार करने पर कांग्रेस की हो रही सर्वत्र आलोचना, बुरी तरह भड़की भाजपा

नई दिल्ली। श्रीराम मंदिर ट्रस्ट द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या धाम में होने वाले भव्य श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए दिए गए आमंत्रण को कांग्रेस ने ठुकरा दिया है। कांग्रेस के इस निर्णय की सर्वत्र आलोचना हो रही है। स्वयं कांग्रेस इस मामले को लेकर दो फाड हो गई है। आम जनता में भी कांग्रेस की जबरदस्त किरकिरी हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय कांग्रेस को आगे जाकर बहुत भारी पड़ने वाला है। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के इस कदम से बहुत ज्यादा उखड़ गई है और पार्टी का हर बड़ा नेता मीडिया में इसे लेकर मुखर हो गया है।

कांग्रेस आलाकमान की तरफ से राम मंदिर के उद्घाटन समारोह का न्योता ठुकराने पर भाजपा भड़क गई है। पार्टी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस अब बहिष्कार पार्टी बन गई है। इन्होंने भगवान राम तक को काल्पनिक कहा था, जबकि महात्मा गांधी खुद राम-राज्य की कल्पना करते थे। भाजपा ने आरोप लगाया कि यह कांग्रेस अब गांधी की नहीं नेहरु की बन कर रह गई है। इन्होंने कुछ समय पहले ही कांग्रेस के नेता रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भारत रत्न सम्मान समारोह तक का बहिष्कार किया था।

केंद्रीय मंत्री बोले- कांग्रेस के फैसले से आश्चर्य नहीं

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, कांग्रेस पार्टी का शुरू से ही यही रवैया रहा है, यहां तक कि जब पुनर्निर्माण के बाद सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था, उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति ने वहां जाने का फैसला किया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी ने इस कदम का विरोध किया... उस दिन से कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण के लिए लगातार हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है। इन 30-40 वर्षों के दौरान जब भी राम मंदिर का मुद्दा आया, या तो उन्होंने इसकी आलोचना की या इसका विरोध किया... इसलिए उनके इस फैसले से मुझे आश्चर्य नहीं हुआ...

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, कांग्रेस ने इससे पहले हमारे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी और अब द्रौपदी मुर्मू जी के संसद में अभिभाषण का बहिष्कार किया। 2004 के बाद 2009 तक कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस का बहिष्कार किया। मई 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार के नेतृत्व में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद 10 दिन तक कांग्रेस ने कोई बयान नहीं दिया था।

भाजपा ने कहा, और तो और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी, जो इन्हीं की पार्टी के थे उनके भारत रत्न समारोह का भी कांग्रेस ने बहिष्कार कर दिया था। अभी कुछ महीने पहले उन्होंने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया। जब GST लागू हुआ तो उसका भी बहिष्कार किया। G20 के समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए थे, उसमें भी महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा दिए गए भोज का भी कांग्रेस ने बहिष्कार किया।

भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि किसी भी अच्छे से अच्छे अनुष्ठान में विघ्न उत्पन्न करके संतोष प्राप्त करने वाली प्रवृत्ति की परिचायक कांग्रेस के साथ पता नहीं कौन सी समस्या है? भारत का इतिहास जब-जब करवट ले रहा होता है, तब-तब वो उस अवसर के साथ खड़े न होकर उसका बहिष्कार करते हैं।

अखिलेश ने तो न्योते का पत्र तक नहीं स्वीकारा: हरनाथ यादव

भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने निशाना साधते हुए कहा, कांग्रेस ने शुरुआत से ही राम जन्मभूमि पर मंदिर का विरोद किया। उसने रास्ते में रोड़े लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। उनके पास अपने पाप और अपराधों को धोने का मौका था, लेकिन उन्होंने वो भी गंवा दिया। इस देश के लोग भगवान राम के साथ खड़े हैं। कांग्रेस ही नहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव तो न्योते को स्वीकारने से भी इनकार कर चुके हैं। वे भी अपने पिता की गलतियों का प्रायश्चित कर सकते थे। लेकिन उन्होंने यह मौका गंवा दिया। राम और कृष्ण विरोधी ताकतें इस देश में मजबूत हो रही हैं। ये सभी हिंदू-विरोधी ताकतें हैं।