SC ने कहा कश्मीर से जल्द हटे पाबंदी, कांग्रेस का BJP पर हमला, बोली - मोदी सरकार को लगा 2020 का पहला झटका

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट बैन और अन्य तरह की पाबंदियों के मामले में आज सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कश्मीर में हमारी प्राथमिकता लोगों की स्वतंत्रता और सुरक्षा देना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा लंबे वक्त तक इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगाया जा सकता। पाबंदियों की कोई पुख्ता वजह का होना जरूरी है। इंटरनेट लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है। यह आर्टिकल 19 के तहत आता है। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा है कि बहुत जरूरी होने पर तय समय के लिए ही इंटरनेट बंद किए जाने चाहिए। साथ ही दोहाराया कि अनिश्चितकाल के लिए इंटरनेट को बंद नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी जरूरी सेवाओं के लिए इंटरनेट शुरू किया जाए। इंटरनेट पर प्रतिबंध की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते के अंदर इन पाबंदियों की समीक्षा करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जहां इंटरनेट का दुरुपयोग कम है वहां सरकारी और स्थानीय निकाय में इंटरनेट की सेवा शुरू की जाए। कोर्ट ने सरकार को ई बैंकिंग सेवाएं और शुरू करने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने धारा 144 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में कहीं भी लगातार धारा 144 को लागू रखना सरकार द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है। साथ ही कोर्ट ने पाबंदी से संबंधित सभी फैसलों को सार्वजनिक करने को कहा है।

जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार के लिए वर्ष 2020 का पहला बड़ा झटका करार दिया। कांग्रेस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्मरण कराया गया है कि देश उनके सामने नहीं, संविधान के समक्ष झुकता है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की गैरकानूनी गतिविधियों को यह कहते हुए पहला बड़ा झटका दिया कि इंटरनेट की आजादी एक मौलिक अधिकार है।

उन्होंने दावा किया कि मोदी-शाह के लिए दोहरा झटका है कि विरोध को धारा 144 लगाकर नहीं दबाया जा सकता। उन्होंने कहा कि मोदी जी को याद दिलाया गया है कि राष्ट्र उनके सामने नहीं, संविधान के सामने झुकता है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस मामले में ये याचिका दायर की थी। वहीं गुलाम नबी आजाद ने उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते है और यह पहली बार हुआ कि उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दिल की बात कही है। उसने लोगों की नब्ज पकड़ ली है। मैं ऐतिहासिक निर्णय के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद करना चाहता हूं।