'एवेंजर्स एंडगेम' से कम खर्चीला है 'चंद्रयान-2'

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर आँध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा। पहली बार भारत चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर उतारेगा और इसके 6 सितंबर को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है। इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल शुक्रवार को पूरी हो गई है। इसरो ने चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले लैंडर मॉड्यूल का नाम अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर विक्रम रखा है। यह दो मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।

'एवेंजर्स एंडगेम' से कम खर्चीला है चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)

यह मिशन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योकि चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) को बनाने में जो खर्चा हुआ है विदेशी मीडिया के अनुसार हॉलीवुड फिल्म 'एवेंजर्स एंडगेम' से कम है। विदेशी मीडिया और वैज्ञानिक जर्नलों में चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की लागत को हॉलीवुड फिल्म एवेंजर्स एंडगेम (Avengers Endgame) के बजट के आधे से भी कम बताया है। भारत इस मिशन की सफलता के साथ अपने अंतरिक्ष अभियान में अमेरिका, रूस और चीन के समूह में आ जाएगा।

स्पूतनिक ने कहा, 'चंद्रयान-2' की कुल लागत करीब 12.4 करोड़ डॉलर है जिसमें 3.1 करोड़ डॉलर लांच की लागत है और 9.3 करोड़ डॉलर उपग्रह की। यह लागत एवेंजर्स की लागत की आधी से भी कम है। इस फिल्म का अनुमानित बजट 35.6 करोड़ डॉलर है।'

चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की लॉचिंग देखने के लिए 7,134 लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन

भारत के बड़े मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह है और इसे लाइव देखने के लिए अब तक 7,134 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है।

इसरो ने हाल ही में आम लोगों के लिए रॉकेट लॉचिंग प्रक्रिया को लाइव देखने की शुरुआत की है। लोग विशेष तौर पर बनाई गई एक गैलरी में बैठकर इसरो के लॉन्च देख सकते हैं। इसमें कुल 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है, इसलिए इसरो की योजना है कि धीरे-धीरे दर्शकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। यह लॉन्चिंग देखने के लिए विभिन्न स्थानों के लोगों ने पंजीकरण कराया है।

बता दे, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा। इसमें 8 पेलोड हैं। साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाकर 2015 में ही इसरो को सौंप दिया था।