दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर CAG रिपोर्ट को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) पर तीखा हमला बोला। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि इस रिपोर्ट में BJP के कुछ बड़े नेताओं और तत्कालीन उप-राज्यपाल की भूमिका से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि एक साल के भीतर तीन आबकारी निदेशकों को बदलने का फैसला क्यों और किसने लिया? साथ ही, दिल्ली में नए शराब ब्रांड्स को बढ़ावा देने के मामले की जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार की शराब नीति को तत्कालीन राज्यपाल की मंजूरी मिली थी, फिर भी इस पर अब तक कोई जांच क्यों नहीं हुई? मास्टर प्लान का उल्लंघन कर शराब के ठेके खोलने के लाइसेंस कैसे दिए गए, इसकी जांच जरूरी है। यादव ने कहा कि बिना कॉर्पोरेशन की अनुमति के शराब के ठेके नहीं खोले जा सकते, और उस समय दिल्ली नगर निगम में BJP का शासन था। बावजूद इसके, BJP ने दिल्ली सरकार को नॉन-कंफर्मिंग एरिया में शराब के ठेके खोलने की इजाजत दे दी, जो गंभीर सवाल खड़े करता है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पहले दिल्ली में करीब 377 शराब रिटेल आउटलेट्स थे, जिनमें से केवल 262 निजी हाथों में थे, जबकि बाकी सरकारी कंपनियों द्वारा संचालित किए जाते थे। लेकिन नई नीति लागू होने के बाद, रिटेल स्टोर्स की संख्या 850 तक पहुंच गई और केवल 22 निजी कंपनियां बचीं। यादव ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ खास शराब ब्रांड्स को प्रमोट किया गया, जिनकी NCR में कोई मांग नहीं थी, जबकि कई ब्रांड्स को दबाने का भी काम किया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने बाजार प्रतिस्पर्धा (Market Competition) को गलत तरीके से नियंत्रित किया और उन टॉप ब्रांड्स को प्रमोट किया जिनके प्लांट पंजाब में थे, जहां उस समय AAP की सरकार थी।
कांग्रेस का दावा: शराब घोटाले में BJP भी जिम्मेदारपूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने BJP और AAP सरकार की शराब नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि AAP सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को गलत तरीके से लागू किया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रति बोतल पर एक्साइज लगाने की बजाय एक निश्चित मूल राशि (Base Amount) तय कर हर साल 5%-10% की वृद्धि कर रही थी। इससे सरकार को इस बात से फर्क नहीं पड़ा कि कितनी शराब की बोतलें बेची जा रही हैं। दीक्षित ने दावा किया कि दिल्ली में 30%-40% शराब की बिक्री अवैध तरीके से होती रही। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, अगर दिल्ली में 10,000 बोतलें बेची जाती थीं, तो नई नीति के तहत 13,000-14,000 बोतलें बेची जा रही थीं। इसका मतलब है कि 3,000-4,000 बोतलों पर एक्साइज सरकार के पास नहीं आया।
उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार को यह मालूम था, तो 10,000 बोतलों को ही स्टैंडर्ड क्यों माना गया? कांग्रेस नेता का आरोप है कि AAP सरकार ने 30%-40% अवैध बिक्री को कानूनी स्वीकृति (Legal Sanction) दे दी। उन्होंने यह भी कहा कि यह घोटाला केवल AAP सरकार तक सीमित नहीं है, बल्कि BJP भी इसमें शामिल रही, क्योंकि उस समय दिल्ली नगर निगम (MCD) में BJP का शासन था। लेकिन CAG रिपोर्ट में इन महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजरअंदाज किया गया।
CAG रिपोर्ट पर संदीप दीक्षित का बड़ा बयान: शराब नीति बार-बार बदली गईकांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने CAG रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि दिल्ली सरकार की शराब नीति बार-बार बदली गई, जिससे इसकी मूल मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआत में इस नीति में 77 कंपनियों की भागीदारी थी, लेकिन बाद में यह सिर्फ 14 तक सीमित रह गई। दीक्षित का आरोप है कि ये 14 कंपनियां आपस में गहरी संबंध रखती हैं और इनका जुड़ाव देश के उन हिस्सों से है, जहां के राजनेता और उनके परिवार AAP सरकार से करीबी संबंध रखते हैं।
शराब नीति पर पहले से थी चर्चा, सरकार और ठेकेदारों के गठजोड़ का आरोपसंदीप दीक्षित ने यह भी कहा कि शराब नीति के नियम बनने से 8-9 महीने पहले ही इसकी बारीकियां चर्चा में आ गई थीं। कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नीति सरकार और शराब ठेकेदारों के बीच बने गठजोड़ और उनके निजी हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई थी। इसलिए इस पूरे मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए।