बिल्डरों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने बुधवार को केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत रियल एस्टेट कंपनी के दिवालिया होने पर उसकी संपत्ति में घर खरीदारों को भी हिस्सा मिलेगा। अब तक केवल बैंकों को ही बिल्डर की संपत्ति में हिस्सा मिलता था।
सरकार के इस कदम के बाद मकान खरीददार भी बैंक और वित्तीय संस्थानों की तरह वित्तीय लेनदारों की श्रेणी में आएंगे। ऐसा होने पर रियल एस्टेट कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में बकाया राशि वसूलने में मकान खरीददारों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे मकान खरीददारों को बिल्डर से अपना पैसा जल्द वसूलने में मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि केंद्र के इस कदम से जेपी इन्फ्राटेक जैसे मामलों में मकान खरीददारों को राहत मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।
यह फैसला दिल्ली-एनसीआर समेत तमाम शहरों में उन हजारों घर खरीदारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिनके पैसे आधे-अधूरे बने प्रोजेक्ट्स में फंसे पड़े हैं। घर खरीदारों की शिकायतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने बैंक्रप्सी कोड में बदलाव के लिए 14 सदस्यीय इन्सॉल्वेंसी लॉ कमेटी का गठन किया था। कमिटी ने सिफारिश की थी कि दिवालिया बिल्डर की संपत्ति बेचने पर उन घर खरीदारों को भी हिस्सा दिया जाए, जिन्हें पजेशन नहीं मिला है।
सरकार ने यह संशोधन 14 सदस्यीय एक समिति की सिफारिश के आधार पर किया है। इस समिति ने मकान खरीददारों की परेशानी को दूर करने के लिए इस तरह के प्रावधान की सिफारिश की थी। समिति ने कहा था कि मकान खरीदने वालों के भी वित्तीय लेनदारों की श्रेणी में रखा जाए, ताकि दिवालियेपन के मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया में वे भी शामिल हो सकें। इसके अलावा समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की थीं। इससे पहले सरकार ने पिछले साल नवंबर में आइबीसी की धारा 29ए में संशोधन कर दिवालिया घोषित होने वाली कंपनी को खरीदने वाले चार प्रकार के संभावित खरीददारों को अयोग्य घोषित किया था। सूत्रों ने कहा कि आइबीसी की धारा 53 के तहत मकान खरीददार भी वित्तीय लेनदारों की श्रेणी में आएंगे। इसका मतलब यह है कि मकान खरीददारों के प्रतिनिधि भी कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स यानी लेनदारों की समिति के सदस्य होंगे।
कैबिनेट की बैठक के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि अध्यादेश को मंजूरी दी गयी है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रोटोकॉल के तहत जबतक अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल जाती वो कुछ भी बता नहीं सकते।
सूत्रों के मुताबिक आइबीसी में संशोधन के जरिए सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को भी बड़ी राहत दी है। दिवालियेपन के मामलों में अब उन पर पहले की तरह शर्ते लागू नहीं होंगी।
आइबीसी दिसंबर 2016 में लागू हुई थी। इसके तहत समयबद्ध ढंग से दिवालियेपन के मामले सुलझाने का प्रावधान है।