Budget 2019 : बजट पेश होने से पहले रुपये की कमजोर शुरुआत

वित्तमंत्री पीयूष गोयल 11 बजे संसद में अंतरिम बजट पेश करेंगे। बाजार की नजर फिलहाल बजट पर है। केंद्र सरकार द्वारा अंतरिम बजट पेश करने से पहले शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आई। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 4 पैसे कमजोर होकर 71.12 रुपये के स्तर पर खुला। इससे पहले कल रुपया 8 पैसे की मजबूती के साथ 71.08 पैसे के स्तर पर खुला था। जानकारों को उम्मीद है कि आज बजट होने के चलते कारोबारी सतर्क रुख अपनाएंगे।

उधर, डॉलर के मुकाबले यूरो समेत कुछ मुद्राओं में कमजोरी आने डॉलर इंडेक्स में लगातार दूसरे दिन बढ़त देखी गई। डॉलर इंडेक्स 0.04 फीसदी की बढ़त के साथ 95.34 पर बना हुआ था, जबकि एक यूरो का विनिमय मूल्य 1.1442 था।

पिछले सत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट आने से रुपये को सपोर्ट मिला।

क्यों होता है रुपया कमजोर या मजबूत

रुपये (Rupee) की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है। इस पर आयात एवं निर्यात का भी असर पड़ता है। दरअसल हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेन यानी सौदा (आयात-निर्यात) करते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। समय-समय पर इसके आंकड़े रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होते हैं। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है। अमेरिकी डॉलर (dollar) को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है। इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर (dollar) में चुकाया जाता है। यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये (Rupee) की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर। अमेरिकी डॉलर (dollar) को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं। यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है।

आप पर क्या असर

भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। डॉलर (dollar) के मुकाबले रुपये (Rupee) में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा। इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं। डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है। इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है। रुपये (Rupee) की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं।