2019 के चुनावी रथ पर सवार हुए मोदी, दो महीनों में करेंगे 100 रैलियां, राहुल गांधी को अब भी इंतजार

साल के पहले दिन टीवी पर इंटरव्यू और उसके बाद गुरुवार को पंजाब के गुरुदासपुर में रैली .. एक-एक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। वही अब शुक्रवार को पीएम मोदी 10 दिन में दूसरी बार पूर्वोत्‍तर के दौरे पर निकल रहे हैं। पीएम मोदी का जनवरी-फरवरी में 20 राज्यों में कुल 100 रैलियां करने प्लान है। जबकि विपक्षी दलों की ओर से किसी भी पार्टी ने अभी तक चुनावी बिगुल नहीं फूंका है। इस तरह से इस साल की सबसे बड़ी सियासी लड़ाई में बीजेपी बढ़त बनाती हुई नजर आ रही है। बीजेपी नेताओं ने 2019 के चुनाव के लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले एक साल से रैलियां के जरिए सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा बीजेपी ने 'सम्पर्क फॉर समर्थन' के जरिए विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों के साथ मुलाकात की थी। बीजेपी के 4000 से अधिक कार्यकर्ताओं को एक लाख लोगों से मिलने और सरकार की उपलब्धियां उन्हें बताने की जिम्मेदारी निभाई थी। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खुद भी पूर्व सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, उद्योगपति रतन टाटा, अभिनेत्री माधुरी दीक्षित, महेंद्र सिंह धोनी जैसी कई हस्तियां से मुलाकात की थी।

बीजेपी अपने लोकसभा अभियान की शुरुआत के पहले चरण में उन जगहों पर फोकस कर रही है जहां पार्टी का अभी तक बहुत खास प्रभाव नहीं रहा है। यानी पार्टी ने अब लोकसभा चुनाव में नए क्षेत्रों को जीतने की रणनीति बनाई है। इसके लिए 'मिशन-123' शुरू किया गया है। इसके तहत पार्टी ने तटीय राज्यों की 117 में से 119 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत सालभर से इन राज्यों में गतिविधियां दो सौ प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र और कर्नाटक को तटीय राज्यों की श्रेणी से अलग रखा है। तमिलनाडु-पुड्‌डुचेरी की 40, केरल की 20, पश्चिम बंगाल की 42 और ओडिशा की 21 सीटें ही उनके लक्ष्य में शामिल हैं। इन सीटों का जोड़ 123 है। इसमें से 117-119 सीट जीतने का लक्ष्य है।

हाल ही में हुई विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी ने सत्ता गंवाई है। इन तीनों राज्यों में कुल 65 संसदीय सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इनमें से 62 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में 2019 में लोकसभा चुनाव में पिछले नतीजों को दोहराना पार्टी के एक बड़ी चुनौती है। विधानसभा चुनाव के नतीजे अगर लोकसभा चुनाव में तब्दील होते हैं तो फिर बीजेपी की करीब 28 से 30 सीटें कम हो सकती है।

ऐसे में मोदी ने लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही अपने किले को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने पिछले चुनाव में हारी हुई 123 सीटों पर पहले फोकस किया है। इसके पीछे बीजेपी की एक रणनीति और भी है कि इन सीटों पर अपना सांसद न होने के कारण स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी रुझान का खतरा भी कम है। ऐसे में इन सीटों पर मोदी के चेहरे का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर चुनाव में कमल खिलाने की रणनीति है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक इसके तहत अगले 100 दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी भाजपा कार्यकर्ताओं को "सक्रिय" करने के लिए लगभग 20 राज्यों का दौरा करेंगे और मतदाताओं से समर्थन मांगेंगे। इनमें पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा जैसे राज्य शामिल हैं, जहां लोकसभा की 77 सीटें हैं। 2014 में मोदी लहर के बावजूद पार्टी इनमें से सिर्फ 10 सीटें ही जीत सकी थी।

वहीं, कांग्रेस सहित सपा, बसपा, एनसीपी, टीएमसी जैसे विपक्षी दल अभी तक चुनावी रण में नहीं उतरे हैं। इतना ही नहीं विपक्ष मोदी के खिलाफ एकता की बात कर रहा है, लेकिन अभी तक बिहार और महाराष्ट्र को छोड़कर बाकी राज्यों की गठबंधन की तस्वीर साफ नहीं हो सकी है।

विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ फिलहाल अभी रणनीति बनाने में व्‍यस्‍त हैं। महागठबंधन और क्षेत्रीय दलों के नेतृत्‍व वाले फेडरल फ्रंट की चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि अभी इनकी कोई ठोस शक्‍ल बनकर नहीं उभरी है। हालिया तीन विधानसभा चुनावों में जीतने के बाद कांग्रेस के हौसले जरूर बुलंद हैं लेकिन अभी वह विपक्ष के केंद्र में खुद को स्‍थापित नहीं कर सकी है। उसका एक बड़ा कारण यह है कि कई विपक्षी दल राहुल गांधी को विपक्षी धड़े का केंद्रीय नेता मानने को अभी तैयार नहीं है। ऐसे सियासी माहौल में बीजेपी ने चुनावी शंखनाद कर विपक्ष पर बढ़त बनाने का काम किया है।

जबकि बीजेपी ने पांच राज्यों के चुनाव के दौरान ही पीएम मोदी की रैलियों का खाका तैयार कर लिया था। बीजेपी की लोकसभा चुनाव तैयारियों को लेकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह को कहना पड़ा कि सपा अभी तक तैयारियों में काफी पीछे चल रही है। जबकि बीजेपी सभी पार्टियों से आगे है।