मंगलवार को समाजसेवी अन्ना हजारे (Anna Hajare) ने कहा कि कल बुधवार को सुबह 10 बजे अपने गांव रालेगण सिद्धी में अनशन पर बैठने जा रहे हैं। वह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि उनका अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष, पार्टी के विरोध में नहीं है। समाज और देश की भलाई के लिए बार बार वो आंदोलन करते आए हैं। उसी कड़ी में वो एक बार फिर आंदोलन करने जा रहे हैं। अन्ना हजारे ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लोकपाल (Lokpal) व लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को लागू नहीं करने पर केंद्र की निंदा की है। उन्होंने कहा कि लोकपाल कानून बनकर 5 साल हो गया और नरेंद्र मोदी सरकार 5 साल बाद भी बार-बार बहानेबाजी करती है। उन्होंने सवाल उठाया कि नरेंद्र मोदी सरकार के दिल में अगर ये मुद्दा अहम होता तो क्या 5 साल लगना जरुरी था?
करीब सात साल पहले देश की राजधानी दिल्ली में लोग भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सड़कों पर निकले थे। अरविंद केजरीवाल और उनके साथी अन्ना हजारे के जरिए लोकपाल के समर्थन में लड़ाई लड़ रहे थे। जंतर मंतर और रामलीला मैदान से तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई की वकालत की जा रही थी। इंडिया अगेंस्ट करप्शन की इस मुहिम में सरकार को झुकना पड़ा और कुछ बिंदुओं पर हामी भरनी पड़ी।
ये बात अलग थी कि अन्ना हजारे बार बार कहते रहे कि उनका अभियान राजनीतिक नहीं है। लेकिन उनके समर्थकों ने न को उनकी इच्छा का सम्मान किया न ही उनकी बात को तवज्जों दी। भारत की राजनीति में एक नये दल ने दस्तक दी जिसका नाम आम आदमी पार्टी था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में सरकार चल रही है। लेकिन लोकपाल का मुद्दा उनकी दृष्टि से ओझल हो चुका है। केजरीवाल अब यहां तक कहने लगे हैं कि नरेंद्र मोदी का सत्ता से बाहर करने के लिए वो कांग्रेस को शर्त आधारित समर्थन दे सकते हैं।
बता दे, बीते आठ साल में लोकपाल की मांग को लेकर हजारे की यह तीसरी भूख हड़ताल होगी। वह सिविल सोसायटी सदस्यों व समूहों का नेतृत्व करते हुए अप्रैल 2011 में पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे।
पिछले हफ्ते हजारे ने कहा था कि अगर लोकपाल होता तो राफेल ‘घोटाला’ नहीं हुआ होता। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि देश पर ‘तानाशाही’ की तरफ जाने का ‘खतरा’ मंडरा रहा है।