17 दिनों से 12,000 फीट की ऊंचाई पर अभी भी फंसे है AN-32 विमान पीड़ितों के बचावकर्मी

अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए एएन-32 विमान में जान गंवाने वाले लोगों के शव को निकालने गए बचावकर्मी अभी तक वापस नहीं लौट पाए हैं। 12 बचावकर्मियों का यह दल अरुणाचल के इस बेहद दर्गम इलाके में पैदल चलकर घटनास्थल पर पहुंचा। जहां पर एएन-32 विमान हादसे का शिकार होकर गिरा, उस इलाके में मौसम भी बिगड़ता रहता है। अब इस बचाव दल को मौसम सुधरने का इंतजार है ताकि उन्हें हेलिकॉप्टर से लाया जा सके। विमान के ब्लैक बॉक्स और 13 शवों को बरामद करने की कड़ी कवायद के बाद भी टीम 17 दिनों से 12,000 फीट की ऊंचाई पर फंसी हुई है।

बता दें कि असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले के मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए उड़ान भरने के बाद 3 जून को विमान लापता हो गया था। इस विमान में 13 लोग सवार थे। लापता विमान के मलबे की तलाश के लिए वायुसेना ने ऑपरेशन तलाश चलाया था। विमान का मलबा अरुणाचल की घाटियों में जंगल में दिखा था। फिर 12 बचावकर्मियों को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया था, ताकि विमान के ब्लैक बॉक्स और मृतकों के शवों को बरामद किया जा सके। जहां पर विमान का मलबा दिखा, वहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था। लिहाजा बचाव दल को विमान के जरिए घटनास्थल के पास तक पहुंचाया गया था। पश्चिमी सिआंग जिला सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी गिजुम ताली ने बताया कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के नौ कर्मियों, नागरिक पर्वतारोही ताक तमुत और उसके दो सहयोगियों को शी योमी जिला प्रशासन द्वारा तैनात किया गया है, ताकि हेलिकॉप्टर सेवा बाधित रहने की स्थिति में वे ‘फुट ट्रैक’ के दौरान मार्गदर्शन कर सकें। ताली ने कहा, ‘12 बहादुर लोगों को लाने के लिए अभी मौसम की स्थिति अनुकूल नहीं है।’

विमान में सवार 8 क्रू मेंबर समेत 13 के शव 20 जून को लिपो से 13 किलोमीटर उत्तर समुद्रतल से 12000 फीट की ऊंचाई पर बरामद किया गया था। दुर्गम प्राकृतिक संरचना वाले इस क्षेत्र से शवों की बरामदगी के लिए पर्वतारोहियों का सहयोग लेना पड़ा था। इस अभियान के दौरान खराब मौसम ने भी कई बार बाधा डाली। कई बार खराब मौसम के कारण तलाशी अभियान रोक दिया गया। बचाव कार्य में चीता और एएलएच हेलिकॉप्टर्स मौजूद थे।

वही बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाईक ने कहा कि देश में 2016 से दुर्घटनाओं में वायुसेना के 27 विमान और हेलीकॉप्टर खोए हैं। मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 में 6 लड़ाकू जेट, 2 हेलीकॉप्टर, 1 परिवहन विमान और 1 प्रशिक्षण विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए। इसी तरह 2017-18 में वायुसेना ने 2 लड़ाकू जेट और 3 प्रशिक्षण विमान दुर्घटना में खोए। नाईक ने कहा कि दुर्घटना के कुल 11 मामलों में करीब 524.64 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।