अमृतसर ट्रेन हादसा : रेल से कटकर 61 की मौत, 72 घायल, पंजाब में आज राजकीय शोक, बंद रहेंगे स्कूल-दफ्तर, घटना से जुड़ी बड़ी बातें

दशहरे के दिन पंजाब के अमृतसर में प्रशासनिक लापरवाही से बड़ा हादसा हुआ है। हादसे के बाद लोगों में प्रशासन को लेकर काफी नाराजगी है। इस हादसे में तक़रीबन 61लोगों के मारे जाने की खबर है और 72 घायलों को अमृतसर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खबरों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू घटना के वक्त मंच पर मौजूद थी। हादसे के बाद वह वहां से चली गई। अमृतसर के जौड़ा फाटक में ये हादसा उस समय हुआ, जब ट्रैक के पास रावण का पुतला जलाया जा रहा था। हावड़ा मेल और एक डीएमयू ट्रेन के एकाएक आने से ये हादसा हुआ। इस हादसे में तक़रीबन 61 लोगों के मारे जाने की खबर है। कहा जा रहा है कि लोग ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे। उसी समय ट्रेन आ गई। लोग ट्रेन से बचने के लिए दूसरी तरफ गए, लेकिन उसी दौरान दूसरी ट्रैक पर भी ट्रेन आ गई। इस भयावह हादसे को देखते हुए पंजाब में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ‘अमृतसर रेल दुर्घटना के मद्देनजर प्रदेश में कल शोक रहेगा। सभी दफ्तर और शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।’ बता दें कि मौके पर कम से कम 300 लोग मौजूद थे जो पटरियों के निकट एक मैदान में रावण दहन देख रहे थे। इस भयावह हादसे को देखते हुए पंजाब में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ‘अमृतसर रेल दुर्घटना के मद्देनजर प्रदेश में कल शोक रहेगा। सभी दफ्तर और शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।’ बता दें कि मौके पर कम से कम 300 लोग मौजूद थे जो पटरियों के निकट एक मैदान में रावण दहन देख रहे थे।

- अमृतसर के प्रथम उपमंडलीय मजिस्ट्रेट राजेश शर्मा ने 61 लोगों की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने कहा था कि कम से कम 72 घायलों को अमृतसर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं रेलवे ने कहा कि अमृतसर में दुर्घटना स्थल के पास Amritsar train accident दशहरा कार्यक्रम करने की सूचना उसे नहीं दी गई थी। इसके लिए हमने कोई अनुमति नहीं दी थी। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि दुर्घटना स्थल के पास लोगों का जमा होना अतिक्रमण का स्पष्ट मामला है।

- स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि रावण दहन और पटाखे फूटने के बाद भीड़ में से कुछ लोग रेल पटरियों की ओर बढ़ने लगे जहां पहले से ही बड़ी संख्या में लोग खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे। उन्होंने बताया कि उसी वक्त दो विपरीत दिशाओं से एक साथ दो ट्रेनें आईं और लोगों को बचने का बहुत कम समय मिला। उन्होंने बताया कि एक ट्रेन की चपेट में कई लोग आ गए। इस घटना के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई, बदहवास लोग अपने करीबियों को तलाशने लगे। क्षत-विक्षत शव घटना के घंटों बाद भी घटनास्थल पर पड़े थे क्योंकि नाराज लोग प्रशासन को शव हटाने नहीं दे रहे थे। कई शवों की पहचान भी नहीं हो सकी। जमीन पर क्षत-विक्षत शव पड़े हुए थे।

- रेलवे ने अमृतसर Amritsar में ट्रेन हादसे के पीड़ितों के परिजनों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। अधिकारियों ने बताया कि 01832223171 और 01832564485 नंबरों पर फोन करके हादसे के बारे में जानकारी ली जा सकती है। मनावला स्टेशन का फोन नंबर 0183-2440024, 0183-2402927 और फिरोजपुर का हेल्पलाइन नंबर 01632-1072 है।

- इस बीच पंजाब सरकार ने शनिवार को एक दिन के शोक का ऐलान किया है। दफ्तर और शिक्षण संस्थान शनिवार को बंद रहेंगे। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने घटना की जांच के आदेश दिये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अभी मुझे नहीं पता है कि रेलवे स्टेशन के बगल में रावण का यह पुतला क्यों बनाया गया था। लेकिन प्रशासन इसे देखेगा और जब कल मैं वहां जाउंगा तो हम इसकी जांच करेंगे।' सिंह ने अपना तयशुदा इस्राइल दौरा स्थगित कर दिया है और वह शनिवार सुबह अमृतसर जा रहे हैं।

- पंजाब सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिये 5-5 लाख रूपये के मुआवजे का भी ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने दुर्घटना में घायल हुए सभी लोगों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की है।

- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे में लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने अधिकारियों को तत्काल सहायता पहुंचाने के निर्देश दिये हैं। मोदी ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के लिये दो-दो लाख रूपये और घायलों के लिये 50 हजार रूपये के मुआवजे का ऐलान किया है।

- राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “पंजाब के अमृतसर में रेल की पटरी पर हुए हादसे की खबर सुनकर दुखी हूं...' रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी और उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेष चौबे मौके पर थे। रेल मंत्री पीयूष गोयल फिलहाल अमेरिका में हैं और वह वहां अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर वापस लौट रहे हैं।

- घटना के बाद लोगों ने नवजोत कौर सिद्धु के खिलाफ नारेबाजी की जो रावण दहन कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर वहां मौजूद थीं। हालांकि, नवजोत कौर ने इस बात से इनकार किया कि वह हादसे वक्त वहां मौजूद थीं। उन्होंने बाद में कहा कि हादसे के फौरन बाद वह अस्पताल पहुंचीं। उन्होंने कहा कि रेलवे को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि दशहरा आयोजन के दौरान ट्रैक के इस खंड पर ट्रेन की रफ्तार धीमी रहे।

- रावण दहन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नवजोत कौर ने कहा कि इस त्रासदीपूर्ण घटना को लेकर राजनीति की जाना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि "मैंने घर लौटने के बाद ही मौतों के बारे में सुना। मैंने पुलिस आयुक्त को फोन किया और पूछा कि क्या मुझे वापस आना चाहिए? लेकिन उन्होंने कहा कि वहां बहुत अराजक माहौल है। इसलिए मैंने फैसला किया कि मुझे कम से कम उन लोगों को बचाना चाहिए जो घायल हो गए हैं और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।''

- पत्नी का बचाव करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा 'अगर कोई यह सोचे कि यह जानबूझकर किया गया या उकसाने पर किया गया तो यह गलत है। यह समय उंगलियां उठाने का नहीं है। किसी ने यह सोच समझ कर जानबूझ कर नहीं किया है। यह कुदरत का प्रकोप है।' सिद्धू ने यह भी कहा, 'जब दुर्घटना होती है तो किसी को बताकर नहीं होती। लोग जो बात कर रहे हैं वह राजनीतिक बातें कर रहे हैं। राजनीतिक रोटियां नहीं सेंकनी चाहिए।' सिद्धू ने कहा कि इस घटना पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल नहीं खेला जा सकता। उन्होंने कहा कि रावण दहन होता आजकल बटन से होता है जिससे आग तेजी से लगती है। इस दौरान जब आतिशबाजी गलत दिशा में जाती है तो लोग पीछे हटते हैं। इसी दौरान वहां मौजूद लोगों को पता नहीं चला होगा। कार्यक्रम कराए जाने संबंधी अनुमति से जुड़े सवाल पर सिद्धू ने कहा कि यह रावण दहन पिछले पचास सालों से हो रहा है। अमृतसर में कई जगहों पर रावण दहन होता है। मुख्यमंत्री ने इस घटना पर जांच के आदेश दिए हैं। हमें दुख बांटना चाहिए। इस पर राजनीति गलत है।

- पंजाब स्थित अमृतसर में हुए हादसे के बाद एक पोस्टर चर्चा का विषय बन गया है। यह पोस्टर दशहरा आयोजन स्थल पर लगा था जिसमें पंजाबी में लिखे शब्दों का मतलब है- ' अच्छाई पर बुराई की जीत'। इस हादसे के बाद यह पोस्टर चर्चा का विषय बन गया है। इस पोस्टर पर पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू की तस्वीर लगी हुई है।

- एक गमगीन महिला ने कहा, ‘मैंने अपना नाबालिग बेटा खो दिया। मुझे मेरा बेटा लौटा दो।' एक स्थानीय शख्स ने कहा, ‘कई बार हमने अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से कहा है कि इस मुद्दे को रेलवे के साथ उठाएं कि दशहरे के दौरान फाटक के पास ट्रेनों की गति को कम रखा जाए, लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी।' एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि पटाखों के शोर की वजह से लोगों को आ रही ट्रेन की आवाज नहीं सुन सकी।