राजधानी दिल्ली में होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड का दृश्य अपनेआप में एक गौरवशाली अनुभव होता हैं। हर साल इस परेड में सेना की तीनों टुकड़ियाँ शामिल होती हैं और इसी के साथ कई राज्यों और विभागों की झाकियाँ भी निकाली जाती हैं। इसी के साथ एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट हवा में अपना कमाल दिखाते हैं। इस साल एयरफोर्स द्वारा बायोफ्यूल एयरक्राफ्ट एएन-32 को भी इस परेड में शामिल किया गया हैं।
अगर बायोफ्यूल का इस्तेमाल होने लगे तो यह क्रूड ऑयल पर निर्भरता कम करेगा। रिपब्लिक डे पर एएन-32 एयरक्राफ्ट एयरफोर्स के दूसरे एयरक्राफ्ट और फाइटर एयरक्राफ्ट के साथ फ्लाईपास्ट करेगा। एएन-32 एटीएफ (एविएशन टरबाइन फ्यूल) के साथ 10 पर्सेंट बायोफ्यूल की पावर से उड़ेगा। यह बायोफ्यूल जट्रोफा पौधे के बीज से बनाया गया है जिसकी टेक्नॉलजी सीएसआईआर और देहरादून स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम ने डिवेलप की है।
इंडियन एयरफोर्स के एयर वाइस मार्शल आरजीके कपूर ने कहा कि अभी हम बायोफ्यूल से एयरक्राफ्ट उड़ाने के एक्सपेरिमेंटल फेज में हैं। यह ट्रायल अभी जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि अभी हमने लॉग टर्म प्लान नहीं बनाया है लेकिन दो पहलुओं पर टेस्ट जारी रखेंगे। हम देखेंगे कि बायोफ्यूल का सिस्टम इंजन पर क्या असर करता है और यह पहलू भी देखेंगे कि बायोफ्यूल का उत्पादन कहां से होगा और अगर हम पूरी तरह बायोफ्यूल में कंवर्जन करना चाहें तो कितने बायोफ्यूल की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि अभी किसी भी देश ने पूरा बायोफ्यूल पर चेंजओवर नहीं किया है। सब परीक्षण के अलग अलग स्टेज में हैं और इसका प्रभाव देख रहे हैं। एयर वाइस मार्शल कपूर ने कहा कि हम एक कॉन्सेप्ट साबित करना चाहते हैं, एक बार यह साबित हो जाएगा कि यह हम कर सकते हैं, तो फिर इसे करना कोई बड़ा काम नहीं है। इसलिए हम रिपब्लिक डे पर एएन-32 लाएंगे। उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल के इस्तेमाल से इंजन और सिस्टम पर क्या असर होगा, एयरक्राफ्ट की लाइफ पर कितना असर होगा और इसके क्या तकनीकी पहलू हैं, उसका असेसमेंट करेंगे।
इंडियन एयरफोर्स के एयर वाइस मार्शल आरजीके कपूर ने कहा कि अभी हम बायोफ्यूल से एयरक्राफ्ट उड़ाने के एक्सपेरिमेंटल फेज में हैं। यह ट्रायल अभी जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि अभी हमने लॉग टर्म प्लान नहीं बनाया है लेकिन दो पहलुओं पर टेस्ट जारी रखेंगे। हम देखेंगे कि बायोफ्यूल का सिस्टम इंजन पर क्या असर करता है और यह पहलू भी देखेंगे कि बायोफ्यूल का उत्पादन कहां से होगा और अगर हम पूरी तरह बायोफ्यूल में कंवर्जन करना चाहें तो कितने बायोफ्यूल की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि अभी किसी भी देश ने पूरा बायोफ्यूल पर चेंजओवर नहीं किया है। सब परीक्षण के अलग अलग स्टेज में हैं और इसका प्रभाव देख रहे हैं।