हल्‍के लक्षण वाले मरीज न कराएं CT-SCAN, जानें एम्स डायरेक्टर क्यों कही ये बात

कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे देश में फैला हुआ है। लाख कोशिशों के बावजूद भी संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना की नई लहर में कई बार ऐसी खबरें प्रकाश में आई हैं कि संक्रमण का पता RT-PCR टेस्ट में नहीं चल रहा है। फिर मरीजों को सिटी स्कैन (CT-SCAN) कराना पड़ रहा है। लेकिन इस बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने सीटी स्कैन करवाने वालों को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज्यादा पहुंचा रहे हैं क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं। इससे बाद में कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा कि सीटी-एससीएन और बायोमार्कर का दुरुपयोग किया जा रहा है। हल्के लक्षण होने पर सीटी-स्कैन कराने में कोई फायदा नहीं है। एक सीटी-स्कैन 300 छाती एक्स-रे के बराबर है, यह बहुत हानिकारक है।

गुलेरिया ने कहा, 'स्टेरॉइड घर में इलाज करा रहे लोग नहीं लें। मध्यम लक्षण में ही स्टेरॉइड दिया जाता है। मॉडरेट बीमारी में तीन तरीके से इलाज होगा। सबसे पहले ऑक्सीजन दीजिए, ऑक्सीजन भी दवा है। उसके बाद स्टेरॉइड दे सकते हैं। होम आइसोलेशन में रह रहे लोग अपने डॉक्टर से संपर्क करते रहें। सेचुरेशन 93 या उससे कम हो रही है, बेहोशी जैसे हालात हैं, छाती में दर्द हो रहा है तो एकदम डॉक्टर से संपर्क करें।'

स्वास्थ्य मंत्रालय की कॉन्फ्रेंस में बताया गया है कि ज्यादा प्रभावित राज्यों के अलावा भी कुछ राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय। मंत्रालय ने यह भी बताया है कि रिकवरी रेट में भी सुधार हो रहा है। 2 मई को रिकवरी रेट 78% था जो 3 मई को 82% तक पहुंच गया। ये शुरुआती सकारात्मक बातें हैं जिन पर हमें लगातार काम करना होगा।