13 साल पहले 26 दिनों तक धरने पर बैठी थीं ममता बनर्जी, यह थी वजह

कोलकाता पुलिस के कमिश्नर के घर पहुंची सीबीआई (CBI) टीम को हिरासत में लेने के बाद सियासी घमासान लगातार तेज होता नजर आ रहा है। पुलिस कमिश्नर से पूछताछ की हसरत लिए पहुंची सीबीआई टीम को पुलिस ने घेर लिया और फिर विधान नगर थाने ले गई। इसके बाद सीबीआई के अधिकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, लेकिन बाद में छोड़ दिया। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Benerjee) कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार (Rajeev Kumar) को बचाने के लिए खुलकर आ गईं। उन्होंने सबसे पहले पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर का दौरा किया और फिर कोलकाता के मेट्रो चैनल पर धरना पर बैठ गईं। उनके साथ पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी धरने पर बैठे हैं। ममता के लिए आधी रात को धरने के लिए स्टेज बना दिया गया। रात ठीक 1.20 पर ममता मंच पर पहुंचीं। वहां ममता शॉल ओढ़कर कुर्सी पर बैठीं, जबकि कई नेता उनके साथ स्टेज पर नीचे बैठे हैं। हम आपको बता दे कि 13 साल पहले सिंगूर भूमि अधिग्रहण मामले के वक्त ममता बनर्जी अपने इसी रूप में नजर आई थीं। उस समय पूरे देश में दीदी के नाम से मशहूर ममता साल 2006 में लगातार 26 दिन तक धरने पर बैठी थीं। वह टाटा नैनो कार (Tata Nano Car) प्रोजेक्ट के लिए सिंगूर में होने वाले भूमि अधिग्रहण का विरोध करने के लिए वह धरने पर बैठी थीं। ममता की कोशिशों और अन्य अवरोधों के चलते टाटा को सिंगूर प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींचने पड़े थे। वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की जनता ने इन प्रयासों के ईनाम के तौर पर उन्हें राइटर्स बिल्डिंग यानी सचिवालय पहुंचा दिया था।

अब एक बार फिर रविवार रात को वह मेट्रो चैनल में धरने पर बैठ गई हैं। इस बार उनकी मांग है कि मोदी सरकार द्वारी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग बंद हो। ममता ने पत्रकारों से कहा, 'यह अभूतपूर्व है। वह बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए इन बहानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह किसी तख्तापलट से कम नहीं है। यह सुपर इमरजेंसी है।' मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि ‘भगवा पार्टी पुलिस और अन्य संस्थानों को नियंत्रण में लेने के लिये सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रही है।’ बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘भाजपा नेतृत्व का शीर्ष स्तर राजनीतिक बदले की ओछी भावना से काम कर रहा है। न सिर्फ राजनीतिक दल उनके निशाने पर हैं बल्कि पुलिस को नियंत्रण में लेने और संस्थानों को बर्बाद करने के लिये वे सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। हम इसकी निंदा करते हैं।’

ममता ने आगे कहा, 'वह सबकुछ गब्बर स्टाइल में नियंत्रित करना चाहते हैं। यह संवैधानिक संकट है। संविधान की रक्षा किए जाने की जरूरत है। वे किसी भी चीज का सहारा ले सकते हैं। इसे रोका जाना चाहिए और इसलिए मैं सत्याग्रह कर रही हूं। केवल बंगाल में ही यह खतरा नहीं है, इसका सामना हर कोई कर रहा है। वह राजनीतिक प्रतिशोधी हैं। हमारे पास विशिष्ट इनपुट हैं कि वे कोलकाता में सांप्रदायिक तनाव को भड़काएंगे। मैं चाहती हूं कि सभी एकजुटता के साथ अपनी आवाज बुलंद करें।'

राज्य में हाल में हुई रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ममता बनर्जी को भ्रष्टाचार के मामले में घेरने की कोशिश की थी। मुख्यमंत्री बनर्जी लगातार चुनाव से पहले केंद्रीय एजेंसियों के होने वाले दुरुपयोग को लेकर बोलती रही हैं। रविवार को उन्होंने कहा, 'क्या आपने दुर्गापुर में पीएम द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर ध्यान दिया? क्या यह शिष्टाचार है? वह देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा हैं। मैं लंबे समय तक सांसद रही हूं। मैंने उस तरह की भाषा का कभी इस्तेमाल नहीं किया जैसी कि मेरे खिलाफ हो रही है। मैं एक महिला होने के नाते यह कभी नहीं कहती। वे संस्थानों को नष्ट करने पर तुले हुए हैं। मैं इससे बहुत दुखी हूं और इसके खिलाफ तबतक धरना करुंगी जबतक यह रुक नहीं जाता।'

आम चुनाव के मद्देनजर रविवार को हुई घटना को राजनीतिक गलियारों में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। करोड़ो रुपये के पोंजी मामलों की जांच में तेजी लाने को राज्य सरकार के पर काटने के तौर पर देखा जा रहा है। बीते गुरुवार को सीबीआई ने मानिक मजूमदार को गिरफ्तार किया था जो बनर्जी की लंबे समय से सेवा में रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री का मानना है कि उनकी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए मुकुल रॉय बंगाल में भाजपा की चुनावी पैंतरेबाजी में मदद कर रहे हैं। वह उन पुलिस अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं जो ममता के करीबी हैं।