कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने कोलकाता की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप पत्र में कहा कि रॉय स्थानीय पुलिस के साथ नागरिक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहा था।
कोलकाता की एक विशेष अदालत में पेश सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार, स्थानीय पुलिस के साथ नागरिक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहे रॉय ने 9 अगस्त को अपराध को अंजाम दिया। घटना उस समय हुई जब पीड़िता छुट्टी के दौरान अस्पताल के सेमिनार रूम में आराम कर रही थी।
अधिकारियों के अनुसार, एजेंसी ने सामूहिक बलात्कार के आरोप का उल्लेख नहीं किया, जिससे संकेत मिलता है कि रॉय ने अकेले ही अपराध किया है। हालांकि, संघीय जांच एजेंसी ने जांच जारी रखी है।
33 वर्षीय रॉय ने 10 अगस्त को गिरफ्तार होने के बाद शुरू में अपराध कबूल कर लिया था। हालांकि, पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान उसने अपना बयान बदल दिया और दावा किया कि उसे फंसाया जा रहा है और वह निर्दोष है।
33 वर्षीय रॉय को कोलकाता पुलिस ने 31 वर्षीय पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर का शव आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिलने के एक दिन बाद गिरफ्तार किया था। डॉक्टर के शव के पास मिले ब्लूटूथ डिवाइस के आधार पर रॉय को गिरफ्तार किया गया। सीसीटीवी फुटेज में उसे अस्पताल की तीसरी मंजिल पर भी देखा गया, जहां सेमिनार हॉल स्थित है।
आरोपी कथित तौर पर कोलकाता पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का करीबी था। सीबीआई ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जब तक उसने जांच अपने हाथ में ली, तब तक अपराध स्थल बदल दिया गया था, जिससे पता चलता है कि स्थानीय पुलिस ने डॉक्टर के बलात्कार और हत्या को छिपाने की कोशिश की थी।
इस बीच, 13 सितंबर को कोलकाता की एक अदालत ने अगस्त में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मुख्य आरोपी संजय रॉय पर नार्को टेस्ट करने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अनुमति देने से इनकार कर दिया। सीबीआई ने नार्को टेस्ट का अनुरोध किया था, जो किसी व्यक्ति को अर्ध-चेतन अवस्था में रखकर जानकारी निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है, लेकिन अदालत ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया। हालांकि, जांच एजेंसी ने पहले आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को जांच को कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।