पेरेंट्स की सोशल लाइफ को बनाए मजेदार, मानसिक बीमारियों से रहेंगे दूर

बच्चों की व्यस्त दिनचर्या और समय के बदलाव के कारण आजकल बुजुर्ग घर की चारदीवारी में रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में वो अकेलापन महसूस करते हैं और धीरे-धीरे मानसिक और शारीरिक बीमारियों से ग्रसित होते जाते हैं। ऐसे में अगर आप अपने पेरेंट्स को हमेशा खुश और स्वस्थ देखना चाहते हैं, तो उनकी सोशल लाइफ की शुरुआत करवाएं। हम आपको बतायेगे बुजुर्गों की सोशल लाइफ क्यों जरुरी होती है;

सोशल लाइफ से बुजुर्ग अपने आप को खुश महसूस करते हैं

बुजुर्गों के लिए सोशल लाइफ का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि वो घर के अलावा अनजान लोगों को फिर से पहले की तरह नए तरीके से जान और समझ पाते हैं, जिससे वो बच्चों और रिश्तेदारों के अलावा नए दोस्त बना पाते हैं। जो उनके सुख-दुख में साथ देते हैं और उनके बीमार पड़ने पर घर में हालचाल जानने के साथ जरुरत पड़ने पर अस्पताल भी ले जाते हैं। इससे बुजुर्ग लोग खुद को खुश महसूस करते हैं।

डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक बीमारी से खुद को बचा पाते हैं


सोशल लाइफ से बुजुर्ग अकेलापन महसूस नहीं कर पाते। नए लोगों से मिलने और अपने मनपसंद काम करने से उन्हें अपनी ढलती उम्र में भी बच्चों की कमी कम महसूस होती है। इससे वो डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक बीमारी से खुद को बचा पाते हैं। सोशल गैदरिंग वो हम उम्र के लोगों के अलावा बच्चों और जानवरों के साथ भी अपने टाइम को स्पेंड करना पसंद करते हैं।

इमोशनली फिट महसूस कर पाते हैं

सोशल लाइफ से बुजुर्ग अपने आपको इमोशनली फिट महसूस कर पाते हैं, क्योंकि आज के दौर में सभी बच्चे काम पर जाते हैं, जिससे बुजुर्ग घर पर अकेले रह जाते हैं, लेकिन ऐसे में अगर वो कोई सोशल ग्रुप या नए दोस्त बनाते हैं, तो अपनी फीलिंग्स और प्रॉब्लम्स उनसे शेयर करके खुद को हल्का महसूस करते हैं और कई बार गंभीर परेशानियों को भी चुटकियों में सॉल्व कर देते हैं। जिससे तनाव और अन्य मानसिक बीमारियों के होने का खतरा कम होता है।
शारीरिक और मानसिक रुप से फिट महसूस कर पाते हैं

सोशल लाइफ से बुजुर्ग मानसिक रुप के साथ शारीरिक रुप से भी मजबूत बन सकते हैं। बढ़ती उम्र में अक्सर लोगों को हाई बी पी, डायबिटीज, दिल की बीमारी, ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया रोग जैसे गंभीर रोग हो जाते हैं ऐसे में अगर वो सोशल लाइफ में एक्सरसाइज, लाफिंग एक्सरसाइज आदि करते हैं जिससे वो शारीरिक और मानसिक रुप से फिट महसूस कर पाते हैं।
हॉबीज को इंज्वॉय करने में मिलती है मदद

बुजुर्गों के लिए सोशल लाइफ का एक फायदा ये भी होता है कि कई लोगों को पेटिंग बनाने, कुकिंग करने और सिलाई कढ़ाही या मिट्टी की चीजों को बनाने का शौक होता है, जिसे समय की कमी और परिवार की जिम्मेदारियों में अपनी हॉबीज को इंज्वॉय नहीं कर पाते हैं। ऐसे में बुढ़ापा यानि बढ़ती उम्र उन हॉबीज को इंज्वॉय करने का सबसे बढ़िया समय होता है।