डांटने से नहीं सुधरेंगे शरारती बच्चे, इस तरह करें उनकी समझाइश

बच्चे मन से चंचल होते हैं और अपनी शरारतों के लिए जाने जाते हैं। कई बच्चे होते हैं जो शांत स्वभाव के होते हैं और वहीँ कई बच्चे होते हैं जिनके आतंक से उनके पेरेंट्स इतने परेशान होते हैं कि उन्हें डांटने-पीटने के लिए दौड़ पड़ते हैं। लेकिन इसका बच्चों पर बुरा असर पड़ता हैं और वे खुद को बंधा हुआ महसूस करने लगते हैं जिसे नफरत में बदलने में देर नहीं लगती हैं। इस स्थिति को सही से नहीं संभाला जाए तो आपका बच्चा आपसे दूर हो सकता हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जो आपके शरारती बच्चों की समझाइश में आपकी मदद करेंगे। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

बातचीत है जरूरी

बहुत से मां बाप अपने बच्चे को समझ ही नहीं पाते। न ही यह जान पाते हैं कि उनके दिमाग में चल क्या रहा है। वह अपने बच्चे से केवल कथित तौर पर जुड़े हुए होते हैं। लेकिन असल में उन्हें कुछ पता नहीं होता है। इसका कारण है संवादहीनता अगर आपके साथ भी ऐसे ही हालात हैं, तो आपको अपने बच्चे से दुबारा से जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए।

सकारात्मक व्यवहार को दें बढावा

आपके बच्चे को यह पता होना चाहिए कि उनका व्यवहार अच्छा है या नहीं। इसलिए आप अच्छे व्यवहार को बढावा देने के लिए उन्हें कुछ गिफ्ट आदि दे सकती हैं। ताकि उन्हें और अधिक मोटिवेशन मिल सके।

भावनाओं को समझें

आपके लिए यह जानना जरूरी होता है कि आपके बच्चे ने कोई गलती क्यों की है। फिर उसे अपना पक्ष रखने का एक मौका दिया जाना चाहिए। हो सकता है वह पहले से ही बहुत गुस्से में हो। कहीं आप उसे गलती की सजा देकर और गुस्सा दिला दें। ऐसा करने से हालात और अधिक बिगड़ सकते हैं। इसलिए कोई भी फैसला करने से पहले अपने बच्चे की भावना और नजरिए को समझना चाहिए


बच्चे के नजरिए से समझें
हो सकता है आपका बच्चा किसी टेस्ट में फेल हो गया हो या फिर उसने चीटिंग की हो या कोई अन्य वजह हो। लेकिन इसके पीछे उसके अपने कारण हो सकते हैं। इसलिए आपको उस पर गुस्सा करने से पहले एक बार उसके हालात समझने चाहिए और कारण पूछना चाहिए।

उसे अपना प्यार दर्शाएं

हो सकता है किसी गलती से आपका बच्चा अपने आप में ही बहुत बुरा महसूस कर रहा हो। या फिर खुद को दोषी मान रहा हो, तो आपको उसे गिल्ट से बाहर लाने के लिए उससे प्यार से पेश आना चाहिए। ऐसा करने से वह धीरे-धीरे उस गिल्ट से उबर सकेगा।

सीमाएं तय करें

बच्चे और पेरेंट्स के बीच जितना प्यार और विश्वास जरूरी है उतना ही शिष्टाचार होना भी। आपके बच्चे को पता होना चाहिए की छोटे और बड़ों से कैसे पेश आते हैं। बच्चों में अच्छा शिष्टाचार उन्हें अच्छा इंसान बनने में मदद करता है।

दोस्ती की भावना से समझाएं

अगर आप अपने बच्चे से बात-बात में गुस्से और ऑर्डर देने के लहजे से बात करती हैं, तो इस आदत को बदल डालें। ऐसा करने से आपका लाडला या लाडली आपसे दूर हो जाएंगे और आपसे बातें छिपाने लगेंगे। इसलिए आप उन्हें कोई भी बात दोस्त बनकर समाझाएं ताकि वह अपनी भावनाओं को सहजता से व्यक्त कर पाएं। ऐसा करने से उनका गलत रास्ते पर जाने की संभावना कम होती है।

सजा न दें

जिस प्रकार हम खुद से आगे बढ़ना,जिंदगी की परेशानियों का सामना करना, टूटना, रोना ,बिखरना और फिर से पूरे उत्साह के साथ खड़े हो जाना सीखते हैं, उसी तरह से हम मां बाप बनने के बाद बच्चे को सिखाना चाहते हैं, क्योंकि इसी का नाम जिंदगी है। एक बात और ध्यान रखें कि बच्चे को डांट फटकार कर या सजा देकर आप अपनी बात नहीं मनवाना चाहिए। इससे बच्चा जिद्दी हो जाता है।