इस तरह सिखाएं बच्चों को घुलना-मिलना, मिलेगा उनकी रुचि को प्रोत्साहन

'बच्चा है, बड़े होने पर समझ जायेगा' ये वाक्य अधिकांश घरों में कहे जाते हैं। पर समय बदलने के साथ ही बच्चे पर उसके भावी जीवन के बारे में तय करने और एक ऊंचाई छूने के लिए दौड़-भाग का दवाब बनने लगता है। इसलिए बचपन से ही बच्चों को तरह-तरह के खिलौनों के साथ घुलना मिलना सिखाएं। रंगो, कहानियों और खिलौनों के माध्यम से ना केवल उसकी रुचियों को प्रोत्साहित करें, बल्कि उसकी हर गतिविधि में रूचिपूर्वक हिस्सा लें।

समय की अहमियत

बचपन से ही बच्चों को समय की अहमियत बतानी चाहिए। उन्हें अपने कामों को समय से करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। बच्चों को न केवल उनके समय की कीमत समझानी चाहिए बल्कि दूसरों के समय की भी इज्जत करने की सीख देनी चाहिए।

प्लीज और थैंक्यू

जब भी आप अपने बच्चे से कोई भी चीज मांग रहे हो या फिर उनसे कुछ पूछ रहे हो तो प्लीज वर्ड का इस्तेमाल करना ना भूलें। इसके अलावा जब बच्चा आपको कोई चीज लाकर दें तो उसे थैंक्यू भी जरूर बोलें। ऐसा करने से ये आदत बच्चे भी जल्दी सीख जाते हैं।
अपनी चीजों की सफाई

अक्सर बच्चे अपने कपड़े, खिलौने, किताबें और दूसरे सामान बिखेरकर रखते हैं लेकिन, इन आदतों को बचपन में ही सुधारने की जरुरत है। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों को अपनी चीजों को सफाई और सहेजकर रखना सिखाएं। ये आदत आगे चलकर उसके व्यक्तित्व के विकास में सहायक साबित होगी।

जवाब कैसे दें

जब भी आपके बच्चे से कोई उनका हाल-चाल पूछे तो उन्हें आगे से जवाब कैसे देना है, ये बात उन्हें जरूर सिखाएं। इससे बच्चे लोगो से बात करना और उनके सवाल का जवाब देना सिख जाते हैं।

लोगों के प्रति सहयोग की भावना

बच्चे को सहयोग की भावना सिखाना बेहद जरूरी है। बच्चे अपने भाई-बहन के प्रति कैसा रवैया रखते हैं या फिर अपने दोस्तों के साथ उनका व्यवहार कैसा है, इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनके इस व्यवहार से उनका व्यक्तित्व जुड़ा हुआ होता है।