बच्चों का पहला गुरु होती है उनकी मां जिनसे मिली सही सीख उन्हें नेक इंसान बनाने में मदद करती है। लेकिन आज के समय में बच्चों की परवरिश करना इतना आसान नहीं हैं क्योंकि बच्चों का मन भटकाने वाली कई चीजें उन्हें गलत बर्ताव करने पर मजबूर कर देती हैं। ऐसे में माता-पिता के सामने चुनौती होती हैं कि किस तरह बच्चे को हैंडल किया जाए। देखा जाता हैं कि कई बार ऐसे मामलों में पेरेंट्स कुछ गलतियां कर बैठते हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम बच्चों में देखी जाने वाली 5 गलत आदतों और उसे पेरेंट्स को कैसे संभालना चाहिए इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
चीजों के लिए जिदआपके लाडले का खिलौना खरीदने का मन कर रहा है। उसने इसके लिए मां से बात की, मां ने मना कर दिया। अब वह पापा के पास जाएगा, पापा शायद मान जाएं। पापा न मानें तो परिवार के किसी अन्य सदस्य के पास जाएगा। रो- धोकर वह अपनी बात मनवा लेगा और उसके हाथ में उसका मनपसंद खिलौना होगा। इस तरह से वह अपनी जिद मनवाने के लिए तैयार रहेगा। आज कोई खिलौना है तो कल कोई और चीज या जिद होगी। सही तो यह होगा कि एक बार यदि उसे किसी चीज के लिए मना कर दिया गया है तो उस पर अमल करें। वह लाख चिल्लाए, रोए या गुस्सा करे, करने दें। उसके गुस्सा करने के सामने झुकें नहीं।
गलत बातेंबच्चा वही करता है, जो वह देखता है। वही बोलता है, जो सुनता है। वह देखता है कि घबराहट के क्षणों में आप किस तरह से रिएक्ट कर रहे हैं। किस तरह काम वाली पर गुस्सा कर रहे हैं, उसे झिड़क रहे हैं। किस तरह अंग्रेजी में कुछेक ऐसे शब्द बोल जाते हैं, जो सही नहीं हैं। बाद में जब आपका बच्चा उन्हीं शब्दों को दोहराता है तो आपको बुरा लग जाता है। आप उसे डांट देते हैं, झिड़क देते हैं। ऐसे में बच्चा कंफ्यूज हो जाता है कि क्या सही है और क्या गलत। उसे लगता है जो शब्द उसके मम्मी- पापा बोलते हैं, वह क्यों नहीं बोल सकता। सच तो यह है कि भले ही बच्चा खेल रहा हो, टीवी देखने में व्यस्त हो, सच तो यह है कि उसके कान और उसकी आंखें आप पर गड़ी रहती हैं। इसलिए स्थिति हाथ से बाहर निकलने से पहले ही सावधान हो जाइए।
मां को मनामां को मना करने की आदत किससे सीखता है बच्चा? कभी सोचा है आपने? आपसे, घर के अन्य लोगों से। उसकी मां उसे कुछ कहना चाह रही है लेकिन घर के किसी अन्य व्यक्ति ने मना कर दिया तो उसे क्या महसूस होगा। यही ना कि मां को मना करना कोई बड़ी बात नहीं बल्कि आम बात है। मां ने पढ़ने के लिए कहा या किसी काम के लिए मना किया तो वह पापा के आते ही उनसे शिकायत करेगा। दिन भर ऑफिस में थके- हारे पापा को भला शिकायत कहां अच्छी लगेगी। वह झूठ ही सही, मम्मी को मना करेंगे कि उनके लाडले को परेशान करने की जरूरत नहीं है। कई बार पापा का यह रोल दादी या नानी निभा देती है। अपने पोते- नाती को प्यार करने के चक्कर में उसके सामने उसकी मां की वैल्यू कम कर देती हैं। ऐसे ही कई घरों में तो रोजाना मां को सही वैल्यू ही नहीं दी जाती है तो बच्चा क्या अपनी मां की कद्र करेगा। इस तरह से बच्चा मां को गंभीरता से लेने की आदत छोड़ देता है। आप अपने घर में स्त्री की इज्जत करेंगे, उसकी बात का मान रखेंगे तो ही बच्चा अपनी मां की कद्र करेगा, उसकी बातों को मानेगा।
टीवी है फेवरेटबच्चों के लिए टीवी देखना बुरा तो नहीं है लेकिन बहुत ज्यादा टीवी देखना भी अच्छी बात नहीं है। अच्छा तो यह होगा कि आप बच्चे के लिए टीवी देखने का समय तय कर दें। उन शोज को देखने दें जो आपको सही लगते हों, जिनसे आपका लाडला कुछ सीखे। लंबे समय तक टीवी देखना आपके बच्चे के शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए कतई ठीक नहीं है। बच्चे के टीवी देखने के लिए आपने जो समय तय किया है, उस पर अमल करें। यदि आपने एक- दो बार उसे तय समय से ज्यादा टीवी देखने दिया तो वह रोज अपनी मांग को बढ़ाता रहेगा। यदि आपका बच्चा टीवी देखने के लिए रोए या चिल्लाए तो उसे ऐसा करने दें। उसे दुलार कर उसकी जिद को मानने की गलती न करें।
गैजेट्स से प्यार
आपका बच्चा हर समय आपको देखता है, आपसे सीखता है। आप जो भी करते हैं, उन सब बातों का असर उस नन्हे पर पड़ता है। एक पंक्ति में कहा जाए तो आप अपने बच्चे के रोल मॉडल हैं। आपके हाथ में अधिकतर समय मोबाइल फोन या टीवी का रिमोट रहता है। इससे आपके लाडले को यह सीख मिल रही है कि गैजेट अच्छी चीज है। मम्मी खाना बनाते हुए भी फोन पर लगी रहती हैं, पापा के ऑफिस से कई कॉल तो आ ही जाते हैं। आपका बच्चा आपके साथ खेलना चाहता है, आपके साथ समय बिताना चाहता है। लेकिन आप फोन पर लगे रहते हैं। आप बाहर घूमने गए, रेस्तरां में खाने या किसी के घर पर, जाहिर सी बात है वह इधर- उधर घूमेगा। आपको यह कतई पसंद नहीं। आपने उसे मोबाइल पर रायम्स दिखाना शुरू कर दिया। अब खुद ही सोचकर देखिए, बच्चे को तो यही महसूस होगा कि गैजेट बहुत जरूरी चीज है। इसलिए बेहतर तो यह होगा कि गैजेट्स को लेकर कुछ नियम बनाइए और उस पर अमल करने के लिए न केवल अपने बच्चे से उम्मीद रखिए, बल्कि खुद भी अमल कीजिए।