एक माँ अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं रखना चाहती हैं और बच्चों की हर चाहत को पूरा करना चाहती हैं। लेकिन अक्सर देखा गया हैं कि बच्चों की हर चाहत पूरी होने के कारण उनके स्वभाव में बदलाव आने लगता हैं और उन्हें हर वो चीज चाहिए ही होती हैं जो उनकी चाहत होती हैं। इसके चलते वे अपने बड़ों की बातों को अनसुना करते हुए नजर आते हैं। बच्चों की यह आदत उनके पेरेंट्स के लिए परेशानी का कारण बनती हैं। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप बच्चों की समझाइश आसानी से कर सकते हैं।
बच्चे का ध्यान खींचिए
क्या आप चाहती हैं कि आपका बच्चा आपकी सुनें? तो सबसे पहले उनका अटेंशन पाने की कोशिश करिए। जब वे आप पर ध्यान देंगे तभी आपकी बात सुन पाएंगे। आपकी बात उनके लिए केवल एक आवाज है, आप क्या कहती हैं, उससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। तो सवाल उठता है कि आप अपने बच्चों का अटेंशन कैसे पाएंगी?जब आप अपने बच्चे से कुछ कह रही हों तो बैकग्राउंड में किसी भी तरह का शोर नहीं होना चाहिए। टीवी, म्यूजिक, वीडियो गेम्स, खिलौने आदि को हटा दें। बच्चों से दूर से नहीं बल्कि उनके पास जाकर अपनी बात कहें। दूसरे कमरे से अपनी बात ना कहें। बातचीत करने से पहले अपने बच्चे की हाइट के अनुसार झुक जाएं। अगर हो सकें तो बैठ जाएं और उनकी आंखों में आंखें डालकर बात करें। जब वे आपसे बात कर रहे हों तो आप जो काम कर रही हैं, उसे छोड़ दें और ध्यान से उनकी बात सुनें।
वक्त और सब्र
अधिकतर स्कूलों में टीचर्स वेट टाइम के कॉन्सेप्ट में यकीन रखते हैं। जब आप अपने बच्चे से कुछ कहें तो उन्हें कम से कम 7-8 सेकेंड का समय दें ताकि वे आपकी बात समझ सकें। इसी ट्रिक से बच्चे स्कूल में बातें मानते हैं। कुछ बच्चों को इससे ज्यादा समय लग सकता है। अगर आपका बच्चा तुरंत जवाब नहीं देता है तो जरूरी नहीं है कि वह आपकी बात को नजरअंदाज कर रहा है। वह यह सोच रहा होता है कि उसे क्या और कैसे जवाब देना है। इस वक्त में आप चिल्लाने ना लग जाएं। उन्हें थोड़ा सा टाइम दें ताकि उनके दिमाग में डेटा प्रोसेस हो सकें!
बच्चों को विकल्प दें
सभी बच्चे हर निर्देश का पालन करने वाले नहीं होते हैं। जब आप उन्हें कुछ कहने के लिए कहती हैं तो वे आपकी बात मानने से इनकार कर देते हैं और विद्रोही हो जाते हैं। खासकर जब वे टीनेज में पहुंचते हैं।आप उन्हें चॉइस की ताकत दीजिए। उन्हें विकल्प दीजिए। जैसे- या तो रूम साफ करें या फिर अपनी बहनों के साथ मूवी ना देखने जाएं। या तो आप अपनी टेबल साफ कर लें या फिर बाद में बर्तन साफ कर लें।
स्पेसेफिक रहें
आपको जो बात कहनी है, उसी पॉइंट पर रहकर बात करें। बहुत ज्यादा लंबे वाक्य और बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल ना करें। घुमा-फिराकर बात ना करें और सरल और सीधे शब्दों में उनसे अपनी बात कहें। कई बार बच्चों को इसलिए भी आपकी बातें याद नहीं रहती हैं क्योंकि आपने बहुत लंबा निर्देश दिया था और उनके दिमाग से आपकी बात निकल गई।जैसे- आप कई बार केवल एक शब्द में अपनी बात कह सकती हैं- बिस्तर पर जाने से पहले ब्रश कर लेना कहने के बजाए कहें- टीथ!। तुम अपने कमरे में जाओ, यहां खड़े मत रहो कहने के बजाए रूम! कहें।
उनसे पूछें नहीं बल्कि बताएं
बेटा, क्या तुम नमक पास कर सकते हो? इसका जवाब हां या ना में हो सकता है। अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा आपकी बात माने तो उनसे पूछे नहीं बल्कि कहें।उदाहरण के लिए, मैं चाहती हूं कि आप अगले घंटे में अपना कमरा साफ कर दो। आप अपने जूते उतार लीजिए। या कहें- शूज प्लीज!