पेरेंटिंग में सख्ती होना भी बहुत जरूरी, बच्चों पर पड़ता है सकारात्मक प्रभाव

पेरेंटिंग में आपकी मदद के लिए कोई इंस्ट्रक्शन मैनुअल नहीं होता है। जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए जरूरी है कि बच्चों को अनुशासन, सीमा में रहना और आदर करना सिखाया जाए और आवश्यकता पड़ने पर अभिभावक भी सख्ती का सहारा लेने से गुरेज नहीं करें। आपको करते-करते ही सीखना होता है। बच्चों को बड़ा होते देख अपने अनुभवों से ही इसे बेहतर सीखा जा सकता है। समय-समय पर इसे लेकर कई तरह की धारणाओं को अपनाया जाता रहा है। वर्तमान में एक सोच ये भी रही है कि जरूरत महसूस होने पर आधुनिक पेरेंट्स को सख्ती भी बरतनी चाहिए। आईये जानते हैं क्यों-

सही गलत का एहसास कराएं

अगर बच्चों के साथ सिर्फ प्यार से ही बात की जाएगी तो हो सकता है कि उन्हें सही गलत का पता ना चल पाए। यानि कि जरूरी है कि आप अपने बच्चों को समझें और उनके साथ कभी कभी सख्ती से भी पेश आएं। ऐसा करने से आपके बच्चे में आत्म विश्वास बढ़ेगा और वह जल्द ही सफलता के कदम चूमेगा।

सख्ती का सही अर्थ

सबसे पहले तो आप यह समझ लें कि बच्चों के साथ सख्ती बरतने का यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि आप बच्चे को बात-बात पर डांटने या मारने लगे।दरअसल, जब बच्चा छोटा होता है तो उसे सही-गलत ही पहचान नहीं होती। ऐसे में वह दुनिया को आपकी नजर से देखता है और यदि आप उसे हमेशा ही अपने प्यार की छांव में रखते हैं तो वह दुनिया की कडी धूप को कभी महसूस ही नहीं कर पाता।

बचपन से ही सिखाएं जिम्मेदारियां उठाना

हाल ही में हुए एक शोध का कहना है कि बात चाहे स्कूल का होमवर्क खत्म करने की हो या फिर अपना कमरा साफ रखने की, ऐसी जिम्मेदारी बचपन से ही बच्चों को देनी चाहिए। इससे वो चीजों को समझते हैं और बचपन से ही जिम्मेदार बनते हैं।

सफल इंसान बनाने में सहायक

बचपन में भले ही बच्चों को लगे कि उसके पेरेंट्स उसके सबसे बड़े दुश्मन हैं, क्योंकि वो उन्हें बात-बात में डांटते हैं, लेकिन जब आगे जा के जिंदगी में वह एक सफल इंसान बन जाते है तो उन्हें इस बात का अहसास होता है कि उसके पेरेंट्स ने जो भी किया उसके भले के लिए ही किया।

सख्ती करने का कारण बताएं

आपको बच्चे को यह भी समझाना होता है कि अगर आप उसे किसी बात के लिए मना कर रहे हैं तो आप ऐसा क्यों कर रहे हैं। साथ ही इससे उसे किस तरह का नुकसान हो सकता है। ऐसा करने से वह दोबारा उस चीज को नहीं दोहराता।