टेक्नोलॉजी के दौर में पीछे छूटते जा रहे रिश्ते, निभाना हो रहा मुश्किल

शादी या कमिटमेंट आज की जेनरेशन के लिए ओल्ड फैशन हो गया है। तकनीकि ने हमे एक दूसरे के इतना करीब ला दिया है कि सांस लेना मुश्किल हो गया है। एख दूसरे से मिलने से ज्यादा टेक्ट्स, वॉयस मेसेज आदि ने ले लिया है। बाकियों से अलग दिखने की चाह में रिश्तों ये भागना आसान लगता है।आजकल के दौर में प्यार जितनी जल्दी होता है शायद उससे दुगुनी स्पीड के साथ टूट जाता है। टेक्नोलॉजी के दौर में लोग प्रैक्टिकल हो गए हैं और रिश्तो को बोझ समझने लगे है, आइये जानें इस बात के अलग-अलग पहलुओं के बारे में-

समर्पण की भावना नहीं होती
आज के दौर में हम सब कुछ आसानी से चाहते है, रिश्तें भी। ना मिले तो बहुत आसानी से हम उन रिश्तों को तोड़ देते है। हम प्यार को बढ़ने का समय देने की बजाय प्यार को चले जाने देना ज्यादा बेहतर समझते है।
पलभर की खुशी ढ़ूढ़ते है
आज के दौर में हम यादें को नहीं बनना चाहते बस अपनी बोरिंग लाइफ से बचना चाहते है। हम जीवन भर का साथी नहीं बल्कि पलभर की खुशी ढ़ूढ़ते है। जैसे जैसे जिम्मेदारी हमारे एक्साइटमेंट को कम करती है प्यार भी कम लगने लगता है।
सब्र नहीं है
भौतिकतावादी सपनों को पाने की दौंड़ मे जीतना जीवन बन गया है, यहां प्यार के लिए जगह नहीं है। बस पलभर का मजा चाहिए। रिश्तों के टूटने पर यहां दिल नहीं टूटते और जिद के साथ वो आगे बढ़ जाते है। हर बात में हमें जल्दी है, फिर चाहे ऑनलाइन स्टेट्स पोस्ट करना हो, करियर को चुनना हो या दोबारा किसी से प्यार करना हो।

परफेक्शन चाहते हैं
आज के दौर में हम किसी एक ही अच्छाई और बुराई को जानने की कोशिश भी नहीं करते है। हम चाहते है कि सब परफेक्ट हो। हम कई सारे लोगो को डेट करते है पर किसी को भी गंभीरता के साथ मौका नहीं देते। कर किसी में कुछ कमियां ढ़ूंढ लेते है।

लॉजिक ढ़ूढते है
आज के दौर में लोग प्रैक्टिकल है , लॉजिक ढ़ूढते है हर बात में, हम प्यार करना जानते ही नहीं है। हम फ्लाईट पकडकर या काम से दो दिन की छुट्टी लेने से बेहतर अपने लॉंग डिस्टेंस का बहाना बनाकर रिश्ते तोड़ देना पंसद करते है। हम बहुत सेंसिबल है।