पेरेंट्स की इन गलतियों का बच्चों पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव, जानें और बचे इनसे

हर माता-पिता की चाहत होती हैं की उनके बच्चे जिंदगी में हमेशा प्रगति करें और उनके जीवन में हमेशा सकारात्मकता बनी रहे। लेकिन क्या आप जानते है कि कभीकभार अनजाने में पेरेंट्स से कुछ ऐसी गलतियाँ हो जाती है जिसकी वजह से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं और उनके व्यवहार में बदलाव आने लगता हैं। ऐसे में पेरेंट्सको चाहिए कि इन कारणों का पता कर इन्हें करने से बचना चाहिए। आज हम आपको पेरेंट्स की उन्हीं गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। तो आइये जानते हैं पेरेंट्स की इन गलतियों के बारे में।

प्रोत्साहित न करना

हर वक्त बच्चे को सलाह-मशविरा देते रहना भी सही नहीं है। बच्चा अगर कोई काम खुद से करता है तो हर बार उसमें गलतियां निकालने और उसे सही तरीका क्या है यह बताने की बजाए उसे प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और वह आत्मनिर्भर बन पाएगा। लेकिन अगर हर बार आप बच्चे को क्या करना है, कैसे करना यह बताते रहेंगे तो बच्चा, हर छोटे-बड़े काम और फैसले के लिए आप पर निर्भर हो जाएगा।

बात-बात पर डांटना या धमकाना

गलतियां हर किसी से होती हैं। सिर्फ बच्चों से ही नहीं बल्कि हम बड़ों से भी अक्सर गलतियां होती रहती हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पैरंट्स बच्चों की गलतियों पर उन्हें बार-बार डांटें या किसी एक गलती पर जरूरत से ज्यादा डांटें। ऐसा करने से बच्चे पर नकारात्मक असर पड़ता है। अगर आप बात-बात पर बच्चे को डांटेंगे या धमकाएंगे तो बच्चा आपसे सच बोलना और आपके सामने अपनी गलती मानना बंद कर देगा।

दूसरों को सामने डांटना या मारना

बच्चों को डिस्प्लिन में रखना और सही बात सिखाना अच्छी बात है लेकिन बहुत से माता-पिता की आदत होती है कि वे ये नहीं देखते कि वे बच्चों को किसके सामने डांट रहे हैं। किसी बाहर वाले के सामने बच्चे को डांटने या मारने की आदत पूरी तरह से गलत है। ऐसा करने से आपका बच्चा दूसरों के सामने शर्मिंदगी महसूस करने लगता है और इस वजह से बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगता है।

प्यार न जताना

आप बच्चे से भले ही कितना भी प्यार क्यों न करते हों लेकिन बच्चे के सामने प्यार जताना जरूरी है। बच्चे को प्यार से लगे लगाना, आई लव यू कहना, प्यार से उसके माथे को सहलाना, माथे को चूमना- यह सब प्यार जताने के तरीके हैं और ऐसा करना भी बेहद जरूरी है ताकि बच्चा आपके इमोशनली कनेक्टेड महसूस करे। आप बच्चे से कितना प्यार करते हैं ये बच्चे को दिखना चाहिए।

दूसरों से तुलना करना

हर बच्चा, अपने आप में यूनीक होता है। कोई पढ़ाई में बेस्ट होता है तो कोई कलरिंग में, कोई गीत-संगीत में तो कोई डांसिंग में तो कोई स्पोर्ट्स में। अपने बच्चे के टैलेंट को पहचानें और उसकी तुलना दूसरे बच्चों से न करें। खासकर स्कूल एग्जाम के रिजल्ट्स के वक्त अपने बच्चे के रिजल्ट की तुलना दूसरे बच्चों से न करें। ऐसा करने से आप बच्चे पर बेवजह का स्ट्रेस और प्रेशर क्रिएट करते हैं।