कभी ना करें बच्चों के सामने ये बातें, पड़ता है गलत प्रभाव

आपने अपने बच्चों को देखा होगा कि वे आपकी बातें पकड़ते हैं और बिना किसी झिझक के उन्हें किसी के भी सामने बोल देते हैं। बच्चे आपसे ही सीखते है और जैसे-जैसे वो बड़े होते चले जाते हैं उनमें आपकी बातों को लेकर जिज्ञासा होने लगती है। ऐसे में बच्चों के सामने आप क्या बोल रहे हैं उसमें सतर्कता बरतनी जरूरी हैं। पेरेंट्स बच्चों को सही बातें सिखाने में पूरी उम्र लगाते हैं लेकिन अनजाने में वो बच्चों को कुछ बुरी चीजें भी सिखा देते हैं जिसका बच्चों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। आज इस कड़ी में हम आपको उन बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें बच्चों के सामने कभी नहीं कहना चाहिए। आइये जानते हैं इनके बारे में...


बच्चे से ना करें पार्टनर या किसी और की बुराई

कई बार लोग गुस्से में आकर बच्चों से दूसरों की बुराई करने लगते हैं। बाल मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग टिनेजर एक्सपर्ट एंजेला करंजा का कहना है कि कई बार लोग अपने पार्टनर की या फैमिली मेंबर की बच्चों से बुराई करते समय यह भूल जाते हैं कि बच्चा जितना आपके साथ रहता है उतना ही बाकी लोगों के साथ भी समय गुजारता है। ऐसे में आपकी बातों से वह खुद को दो अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ महसूस करने लगता है। कई बार इससे बच्चे उन लोगों से नफरत करने लगते हैं जिनके बारे में आप उससे बुराई करते हैं।

भाषा की मर्यादा

बच्चा जब बोलना शुरू करता है तो वह वही बोलता है जो आप अक्सर उसके सामने बोलते हैं। माता पिता की भाषा ही एक बच्चा सीखता है। उसे ये पता नहीं होता कि जो वह सुन रहा है उसका क्या मतलब है, वह गलत है या सही। इसलिए माता पिता को अपने बच्चों के सामने मर्यादित भाषा का उपयोग करना चाहिए। ऐसे शब्द न बोलें जो बच्चा सुनकर दोहराए। भाषा की शैली के साथ ही उसे बोलने के तरीके पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अगर कोई बात माता पिता रूडली कहते हैं तो बच्चा भी अक्सर रूड होकर बात करता है।

जिम्मेदारियों को लेकर डर की बातें


बच्चों से बात करते समय ध्यान रखें कि उनके आगे कभी भी पैसों और बीमारी की बात ना करें। जब माता-पिता पैसों को लेकर टेंशन लेते हैं और बच्चों के आगे इसकी बातें करते हैं तो वह अपने डर को बच्चों में ट्रांसफर करते हैं। कई बार ऐसा करने से बच्चों पर बोझ पड़ता है क्योंकि बच्चे भी फिर इसे लेकर काफी टेंशन लेने लगते हैं जिसे हैंडल करना उनके बस की बात नहीं होती।

दिखावा न करें

कई बार बच्चों के सामने पद प्रतिष्ठा का दिखावा करना माता पिता को महंगा पड़ जाता है। वह रुतबे और पद प्रतिष्ठा की बात अक्सर करते हैं, इससे बच्चे के मन में गलत धारणाएं बनने लगती है। बच्चा घमणी, अपनी मन मर्जी का करने वाला और साथी दोस्तों को अपने से कमतर समझने लगता है। वह गलत काम को भी निडर होकर करने लगता है।

बच्चों की तुलना दूसरों से ना करें

बच्चों की तुलना किसी और से करना बिल्कुल भी सही नहीं होता। जब आप अपने बच्चे की तुलना किसी और से करते हैं तो इससे बच्चे खुद को दूसरों से कम आंकना शुरू कर देते हैं। दूसरे से तुलना किए जाने पर बच्चे का भरोसा टूटने लगता है और वो तनाव का शिकार हो जाते हैं। वहीं, जब आप अपने बच्चे को यह कहते हैं कि वह बाकी सब से काफी बेहतर है तो इससे भी बच्चे के मन पर गलत प्रभाव पड़ता है। इससे वह बाकी लोगों को खुद से कम आंकना शुरू कर सकते हैं।

एंटी-सोशल ना हो

शिकागो यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के अनुसार, अगर आप एक सामाजिक गतिविधियों से दूर रहने वाले यानी एंटी सोशल माता-पिता हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपके बच्चे इस खराब आदत को आपसे सीखेंगे और सारी जिंदगी ऐसे ही बिताएंगे। बच्चे पेरेंट्स की ही आदतो को ही अपनाते हैं और उनके असमाजिक होने का असर भी बच्चों पर वैसे ही पड़ता है। इससे बच्चों की सोशल स्किल खराब होती है और वो किसी से मिलजुल नहीं पाते हैं।

काश तुम कभी पैदा नहीं होते

आप कितने भी नाराज क्यों ना हो लेकिन बच्चे से भूलकर भी ना बोलें कि 'काश तुम कभी पैदा नहीं होते'। कोई भी बच्चा अपने पेरेंट से ये नहीं सुनना चाहता है। ये बातें ना सिर्फ आपके बच्चे की भावनाओं को आहत करती हैं बल्कि उसके आत्म सम्मान को भी ठेस पहुंचाती हैं। इससे बच्चे के मन में ये बात आ सकती है कि उसे कोई पसंद नहीं करता है।

रूढ़िवादी टिप्पणियां करने से बचें


लड़के नहीं रोते या लड़कियों को चुपचाप बैठना चाहिए। इस तरह के टिप्पणियां बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर डालती हैं। जब आप बच्चों को उनकी भावनाएं व्यक्त करने से रोकते हैं तो वह चुप रहना सीख लेते हैं और अपने मन की बातों को भी सुनना बंद कर देते हैं। ऐसे मे जब उन्हें कोई गलत बोलता है तो वह आवाज नहीं उठा पाते और ना ही अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं जिससे वह मन ही मन में घुटते रहते हैं।