शादी एक पवित्र रिश्ता हैं जिसे निभाने के लिए दोनों पार्टनर अग्नि के सात फेरे लेते हैं और जन्म-जन्म का साथ निभाने की कसम खाते हैं। शादी दो दिलों के साथ दो परिवारों का मेल भी होता हैं। ऐसे में इस दौरान लिए गए वचन का पालन सिर्फ इन दोनों की ही नहीं बल्कि पूरे परिवार पर असर डालता हैं। हांलाकि आजकल समय बदल चुका हैं तो ऐसे में इन सात वचन को भी अपडेट करने की जरूरत हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं इस मॉडर्न जमाने में शादी के नए जमाने के सात वचन के बारे में।
कभी शक मत करना
पति : जीवन में यदि कभी ऐसा मौका भी आए, जब तुम्हें मुझ पर विश्वाबस न हो, तुम्हें लगे कि मैं अपने रिश्ते के प्रति पहले जैसा संजीदा नहीं रहा, तो मुझ पर शक करने से पहले इस बारे में मुझसे खुलकर बात करना। शक की सूई रिश्ते को छलनी कर देती है इसलिए हमारे बीच शक को कभी मत आने देना।
पत्नी : तुम भी कभी मुझ पर शक मत करना। यदि मुझ पर शक होने लगे, तो मेरे बारे में किसी और से बात करने से पहले मुझसे बात करना। प्यार और विश्वा स ही रिश्ते का आधार होता है इसलिए हमारे प्यार के बीच कभी भी शक की दीवार को मत आने देना।
कह देना मन की हर बात
पति : मैं जानता हूं कि तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें बड़े नाज़ों से पाला है, तुम्हें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी। मैं और मेरा परिवार भी तुमसे बहुत प्यार करते हैं, तुम्हें हमेशा ख़ुश देखना चाहते हैं, लेकिन जब कभी हम अनजाने में तुम्हारे दिल को ठेस पहुंचाएं, तो तुम उस बात को दिल में मत रखना, वो बात हमसे कहना, और ये भी कहना कि तुम ऐसी स्थिति में हमसे क्या उम्मीद रखती हो। ये बात हमेशा याद रखना कि कह देने से मन हल्का होता है रिश्ते निभाना आसान हो जाता है। इस घर में तुम्हारी ही तरह तुम्हारी हर बात, हर नादानी का तहे दिल से स्वागत है। तुम जैसे बेकल्लुफ होकर अपने मायके में रहती थी, वैसे ही अपने इस घर में भी रहना।
पत्नी : मैं जानती हूं कि तुम और तुम्हारा परिवार मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मैं ये भी जानती हूं कि शादी के बाद भी मुझे पहले की तरह आज़ादी मिलेगी, लेकिन मैं कभी यदि इस आजादी का ग़लत फ़ायदा उठाऊं, अपनी ज़िम्मेदारियां भूल जाऊं, तो तुम भी ये बात मन में मत रखना। मेरे माता-पिता की तरह तुम्हारे माता-पिता को भी मुझे डांटने और समझाने का पूरा अधिकार है। मेरी कोई बात या कोई हरकत यदि तुम्हें अच्छी न लगे, तो बेझिझक मुझसे कह देना।
कभी तुलना मत करना
पति : हर इंसान अलग होता है इसलिए मेरे परिवार के सदस्य तुम्हारे परिवार के अलग हो सकते हैं, लेकिन तुम उनकी तुलना कभी अपने परिवार से मत करना। तुलना करने से हमेशा निराशा और दुख मिलता है, इसलिए तुम ऐसा मत करना। तुम मेरी भी तुलना अपनी फ्रेंड के पति से कभी मत करना, ऐसा करने से रिश्तों में दूरियां और ग़लतफहमियां बढ़ती हैं। और हां, तुम अपनी तुलना मेरी मां से कभी मत करना, क्योंकि मेरे जीवन में तुम दोनों की बहुत बड़ी भूमिका है और तुम दोनों ही मेरे लिए बहुत ख़ास हो, तुम दोनों की आपस में कोई तुलना नहीं हो सकती।
पत्नी : मेरे परिवार के लोग भी आपके परिवार वालों से अलग हो सकते हैं इसलिए तुम भी मेरे मायके वालों की तुलना अपने परिवार से मत करना। और हां, तुम अपनी मां के हाथ का बना खाना खाकर बड़े हुए हो, इसलिए उनके और मेरे बनाए खाने की कोई तुलना हो ही नहीं सकती, तुम कभी ऐसा मत करना। मेरी तुलना किसी भी स्त्री से मत करना, क्योंकि मैं भी तुम्हारी तुलना किसी भी पुरुष से नहीं करूंगी।
घर की बात घर में रखना
पति : मैं जानता हूं कि तुमने अब तक अपनी सारी बातें अपने परिवार के साथ शेयर की हैं, लेकिन शादी के बाद हम दोनों की एक अलग दुनिया होगी और हमारे बीच कई ऐसी बातें भी होंगी, जो हमारे बीच ही रहें तो ही बेहतर है। मैं ये नहीं कह रहा कि तुम अपने परिवार के साथ अपनी कोई बात मत शेयर करना, लेकिन जो बातें घर में ही रहनी चाहिए, उन्हें घर के बाहर मत ले जाना। ये बात अकेले तुम पर लागू नहीं होगी, मैं भी ऐसा ही करूंगा। अब हमारे बीच कुछ ऐसी बातें भी होंगी, जिन्हें न तुम अपने परिवार से कहना और न ही मैं कहूंगा।
पत्नी : मैं भी तुमसे ये कहना चाहती हूं कि यदि मुझसे कोई गलती हो जाए या तुम्हें मुझसे कोई शिकायत हो, तो ये बात सबसे पहले मुझसे कहना, मेरी शिकायत लेकर मेरे मायके मत पहुंच जाना। अब हमारी अपनी गृहस्थी है और इसका सम्मान करना हम दोनों की ज़िम्मेदारी है। हम अपनी बातें आपस में सुलझा लेंगे और इसके लिए दोनों के परिवार को परेशान नहीं करेंगे। मैं इस बात का हमेशा ध्यान रखूंगी कि हमारे बातें हम तक और घर की बातें घर तक ही रहें।
ऐसे बांटना ज़िम्मेदारियां
पति : मैं जानता हूं कि मेरी तरह तुम्हारी भी अपने करियर से बहुत उम्मीदें हैं, मेरी तरह तुमने भी अपनी पढ़ाई और करियर के लिए बहुत मेहनत की है। मैं हर हाल में तुम्हारे हर काम में हाथ बटाउंगा, ताकि हम दोनों एक साथ आगे बढ़ सकें। हम दोनों मिलकर घर और करियर की ज़िम्मेदारियां बांट लेंगे, ताकि किसी एक पर बहुत ज़्यादा बोझ न पड़े। मैं जानता हूं कि मां की तरह तुम घर का हर काम परफेक्ट नहीं कर पाओगी, क्योंकि तुम्हें ऑफिस का काम भी उतनी ही मुस्तैदी से करना होगा, इसलिए घर के कामों में मै तुम्हारा हाथ बटाऊंगा। यदि मैं कभी अपनी ज़िम्मेदारियों से भटक जाऊं, तो तुम मुझे याद दिलाना।
पत्नी : मैं जानती हूं कि मेरी कामयाबी से तुम्हें मुझसे ज़्यादा ख़ुशी होगी। मैं भी हर काम में तुम्हारा साथ दूंगी। जब कभी तुम अपने काम में बिज़ी रहोगे, तो मैं अकेले हमारे परिवार का ध्यान रखूंगी, तुमसे कोई शिकायत नहीं करूंगी, हर हाल में तुम्हारा साथ दूंगी। अब ये घर-परिवार हम दोनों का है, इसलिए इस घर की हर ज़िम्मेदारी हम दोनों बांट लेंगे। यदि मैं कभी अपनी ज़िम्मेदारियां समझ न पाऊं, तो तुम मुझे सही राह दिखाना।
सम्मान कभी कम मत करना
पति : किसी भी रिश्ते में जब तक सम्मान नहीं है, तब तक प्यार हो ही नहीं सकता। मैं उम्रभर तुम्हें इसी तरह प्यार करूंगा और तुम्हारे सम्मान को कभी ठेस नहीं पहुंचने दूंगाा और यही उम्मीद मैं तुमसे भी करता हूं। तुम मेरे लिए कभी अपना प्यार और सम्मान कम मत करना।
पत्नी : मैं जानती हूं कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो और हमेशा मेरे सम्मान का पूरा ध्यान रखते हो। मैं चाहती हूं कि तुम अपने परिवार और समाज के बीच भी हमेशा मेरे सम्मान का ध्यान रखों। मैं भी उम्रभर तुम्हें इसी तरह प्यार करूंगी और हमेशा तुम्हारा सम्मान करूंगी। ऐसा कोई काम नहीं करूंगी, जिससे तुम्हारे सम्मान को ठेस पहुंचे।
हर हाल में साथ निभाना
पति : जीवन में जब सुख-दुख, उतार-चढ़ाव आएं, तो तुम कसकर मेरा हाथ थामे रहना। तुम साथ हो तो दुनिया की हर मुश्किल आसान हो जाएगी, लेकिन मुश्किल घड़ी में यदि तुमने साथ छोड़ दिया, तो मैं बिखर जाऊंगा। तुम हमेशा मेरी ताक़त बनकर रहना, मेरी कमजोरी कभी मत बनना। मैं भी सुख-दुख की हर घड़ी में तुम्हारे साथ खड़ा रहूंगा।
पत्नी : मुझे भी पल-पल तुम्हारे इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत होगी। औरत हर ऊंचाई नाप सकती है, यदि उसे भावनात्मक संबल मिले। एक-दूसरे का हाथ थामे हम जीवन के हर दुख, हर परेशानी का सामना हंसते-हंसते कर लेंगे। बस, तुम ज़िंदगीभर मेरा हाथ यूं ही थामे रखना।