शादी के शुरूआती दिनों को इस तरह करें मैनेज, रिश्तों में आएगी मजबूती

शादी के बाद लड़की के जीवन की परिस्थितियां अचानक से बदल जाती हैं, जिनका सामना करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है , इसका कारण एक-दूसरे का नया व्यवहार, परिवारों की दख़ल आदि होते हैं। समय बीतने के साथ-साथ रिश्तों में मजबूती आने लगती है लेकिन शादी के शुरूआती दिनों में कैसे मैनेज करें। इसलिए आपके इस पहले अहम् पड़ाव को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए हम आपको दे रहे हैं कुछ ख़ास टिप्स।

धैर्य रखें

पिता का साथ छोड़ कर अंजान लोगों के बीच आकर रहना किसी टास्क से कम नहीं है। अचानक आए इस परिवर्तन को समझने में वक़्त लगता है, जो कि स्वाभाविक है। इसलिए धैर्य रखकर अपने पति से मदद मांगे, क्योंकि वे ही हैं, जो आपके और उनके परिवार के बीच एक सेतु का काम कर सकते हैं।

पूरी तरह परफ़ेक्ट कोई नहीं होता
आसपास की महिलाओं को देखकर ख़ुद पर ज़्यादा दबाव न डालें। जितना हो सकता है, उतना करें, क्योंकि हर किसी के घर के हालात और तौर-तरीक़े एक जैसे नहीं होते। यह बिल्कुल न सोचें कि फला कर सकती है, तो मैं क्यों नहीं।
सबको समझें और सबको आपको समझने मौका दें
अच्छी बहू बनने के चक्कर में अपने व्यक्तित्व की बलि न चढ़ाएं। सही तरीक़े से ससुराल वालों और पति के सामने अपना पक्ष रखें। उनके सहजता से स्वीकार न करने पर उन्हें जज न करें। क्योंकि जिस तरह से आप उस घर में नई हैं, उसी तरह से आपका वहां होना उनके लिए भी नया अनुभव है।

रूटीन में बदलाव स्वीकारें
धीरे-धीरे ऐसा रूटीन बनाए, जिसमें आपकी निजी ज़िंदगी, शौक़, परिवार, किचन और रोमैंस सबकुछ सहजता से फ़िट बैठ सके।पने ससुराल वालों से उसी तरह ऑफ़िस की बातें साझा करें, जैसे शादी से पहले आप अपने मम्मी-पापा से किया करती थीं। उन्हें ऑफ़िस की हल्की-फुल्की बातें बताएं। जिससे वे आपसे जुड़ सकेंगे और उन्हें आपके काम के बारे में और भी समझ आएगा।
नए रिश्तों को लेकर पैनिक न हों
नए रिश्तों को लेकर पैनिक न हों।। सबसे मुस्कुरा कर बात करें। याद रखें, ये रिश्तेदार सास-ससुर की आपको लेकर राय बनाने में बहुत अहम् भूमिका निभाते हैं। इसलिए बेवजह उनसे नाराज़गी मोल न लें।