एक मां को अपनी बेटी से बहुत आशाएं होती हैं और बेटी भी मां से स्नेह चाहती है। मांबेटी का रिश्ता इतना करीबी है कि इस की तुलना सखियों के प्रेम से की जाती है। किंतु कभीकभी गलत व्यवहार के कारण इस रिश्ते में खटास आ जाती है और फिर मतभेद बढ़ते ही जाते हैं। एक मां होने के नाते ध्यान रखें की कुछ बातें बेटियों के दिल पर बहुत ठेस पहुचतीं हैं, इसलिए उनका ध्यान रखें।
जिम्मेदार बनोबार-बार अपनी बेटी को जिम्मेदारियों का एहसास ना कराएं। अब तुम बड़ी हो रही हो तुम्हें घर घर के काम सीखने चहिये। ये वाक्य लगभग हर बड़ी हो रही बेटी को माँ दस साल की उम्र तक बोलने लगती है। दस साल की नन्ही बच्ची के मन पर क्या बीतती है उसे बयां नहीं किया जा सकता।
सबका मन रख लो
ये बात तब ज्यादा लागू हो जाती है जब बच्ची के छोटे भाई बहन हों क्योंकि इसके बाद हर मौके पर बार बार माँ ये एहसास करवाती है की तुम बड़ी हो इसलिए छोटों का मन रखने के लिए उसकी बात मन लो। बेटी माँ से कुछ कह नहीं पाती पर यहीं से उसके मन में हीन भावना और कुंठाएं विकसित होनी शुरू हो जाती है और माँ से दूरियां भी।
हर बात पर रोकटोक करनाकहाँ जा रही हो। क्यों जा रही हो। किसके साथ जा रही हो। किसका फ़ोन आया है। इतनी देर तक किससे बात कर रही हो। खाने के बाद प्लेट सिंक में क्यों नहीं रखी। सुनने में ये शायद बहुत छोटी बातें हैं पर इन्ही छोटी बातों का बेटियों के मन पर कितना गहरा असर पड़ता है इसका अंदाज़ा लगा पाना भी बहुत मुश्किल है। हर बात पर टोकने से वो डर के कारण अपनी बातें अपनी ही माँ से छिपाने लगती है।
विश्वास न करना
माँ का बच्चे पर विश्वास न करना भी एक बहुत बड़ा कारण है जिससे बच्ची अपनी माँ से ही कटने लगती है। उसे ये महसूस होने लगता है की जब माँ को मुझपर विश्वास है ही नहीं तो उनको कुछ बताना या ना बताना सब बराबर ही है। इस कारण भावनात्मक जुड़ाव अपने आप कम होने लगता है।
प्यार ज़ाहिर न करनादो चार पप्पी और प्यार भरी झप्पी की कमी हो तो कोई भी बेटी अपनी माँ से ज्यादा दोस्तों की माँ को पसंद करने लगती है। माँ का स्पर्श कभी कभी बिना किसी कारण के गले लगाना, माथे को चूम लेना ये ज़ाहिर करता है कि माँ बेटी को कितना प्यार करती है। जहाँ स्पर्श का आभाव होता हो वहां वहां बच्चे भी माँ से भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाते।