पति- पत्नी के रिश्ते की डोर दोनों के ही हाथो में बराबर से होती है। एक के हाथ में ढील और दूसरे का इसे जकड़कर रखना, रिश्ते के लिए नुकसानदायक सिद्ध होता है। संतुलन बनाये रखने के लिए दोनों की पहल, कोशिश और निर्बाह जरूरी है। रिश्ते निभाना जरूरी है लेकिन एक के हिस्से में ही निबाह की जिम्मेदारी डालने से रिश्ते बोझ बन जाते हैं।इसलिए जरूरी है कि पति-पत्नी के रिश्ते की डोर दोनों के हाथ में बराबर हो
पति-पत्नी बनें बेस्ट फ्रेंड्सद नेशनल ब्यूरो औफ इकनोमिक द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो दंपत्ति एक-दूसरे को बेस्ट फ्रेंड मानते हैं वे दूसरों के देखे अपनी वैवाहिक जिंदगी में दोगुना अधिक संतुष्ट जीवन जीते हैं।
संतुष्टि यानि एक दूसरे के साथ रहते हुए समय और परिस्थिति के अनुसार जो भी सुख-सुविधा प्राप्त हो जाए उसी में संतोष करना। दोनों एक दूसरे से पूर्णत: संतुष्ट थे। कभी राम ने सीता में या सीता ने राम में कोई कमी नहीं देखी।
पता होना चाहिए कि कौन सी बातों से दिल दुखता हैएक पति-पत्नी को मिलने पर सबसे पहले यह बात शेयर करनी चाहिए कि दोनों का दिल किस बात पर दुखता है। क्योकि इंसान कभी नहीं समझ सकता है कि सामने वाले की फीलिंग्स को कब चोट पहुंचती है। इसलिए बेहतर है इस गुप्त बात को खुदी शेयर कर लिया जाये।
छोटी-छोटी बातें भी होती हैं महत्वपूर्ण मजबूत रिश्ते के लिए समय-समय पर अपने जीवनसाथी को स्पेशल महसूस कराना जरूरी है। यह जताना भी जरूरी है कि आप उन की केयर करते हैं और उन्हें प्यार करते हैं। इस से तलाक की नौबत नहीं आती। आप भले ही ज्यादा कुछ नहीं पर इतना तो कर ही सकते हैं कि प्यार भरा एक छोटा सा नोट जीवनसाथी के पर्स में डाल दें या दिनभर के काम के बाद उन के कंधों को प्यार से सहला दें।
समर्पणशादीशुदा यानि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति पूरा समर्पण और त्याग होना भी आवश्यक है। एक-दूसरे की खातिर अपनी कुछ इच्छाओं और आवश्यकताओं को त्याग देना या समझौता कर लेना दाम्पत्य संबंधों को मधुर बनाए रखने के लिये बड़ा ही जरूरी होता है।