इस तरह बचाए बच्चों को परीक्षा के तनाव से, मिलेंगे सकरात्मक परिणाम

बच्चों पर परीक्षा का डर मंडराना शुरू हो चुका है। अगले कुछ दिन खूब पढ़ने और मेहनत करने में बीतेंगे। परीक्षा में कमाल कर दिखाने का उनका जज्बा रोज तनाव से टकराएगा। पर जीत आपके बच्चों के जज्बे की ही हो, इसके लिए जरूरी होगा कि आप खुद को शांत रखें, ताकि बच्चे को संभाल सकें। “परीक्षा” ये शब्द सुनते ही विद्यार्थियों के मन में डर पैदा हो जाता है। कई विद्यार्थियों को तो सोच कर ही बेचैनी महसूस होने लगती है। और इस वजह से विद्यार्थी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। जिस वजह से परिणाम भी बुरा हो सकता है।कई छात्र एग्जाम के समय अपने पढाई के टाइम को बहुत बढ़ा देते है और कुछ अच्छे बच्चे और अधिक नंबर लाने के चक्कर में दिन भर किताबो से चिपके रहते है। ऐसी स्थिति का परिणाम यह होता है की बच्चा परीक्षा के दौरान तो तनाव में रहता ही है, साथ ही वह परिणाम आने तक भी चिंता में डूबा रहता है। किसी भी विद्यार्थी के लिए यह सब ठीक नहीं है। परीक्षा से होने वाले तनाव के कारण भय व डर की स्थिति उत्पन्न होती है जिसे एग्जाम फोबिया कहा जाता है। ऐसी स्थिति में स्टूडेंट को कड़ी व पूरी मेहनत करने के बावजूद भी अनुकूल परिणाम नहीं मिल पाता। आईये जानते हैं कैसे करे पढाई के तनाव को दूर ?

तनाव का कीजिए टेस्ट

परीक्षा से पहले सब कुछ याद कर पाने और तैयारी पूरी करने की कोशिश में बच्चे का तनाव में आना लाजमी है, लेकिन मां होते हुए क्या आप भी तनाव में हैं? समझ नहीं पा रहीं तो जरा खुद के दो छोटे टेस्ट लेकर देख लीजिए, क्योंकि आपका तनाव बच्चे पर भारी पड़ सकता है।

उन्हें व्यवस्थित बनाएं

उसकी जरूरत की चीजों को उसके पास रखें। सारी चीजें का ढेर न लगा दें। अगर बच्चें की अंग्रेजी की परीक्षा है तो ध्यान रहे उस वक्त व गणित की किताबें न पलटें। टाइमटेबल बनाने में उसकी मदद करें। मैक्स हेल्थकेयर गुड़गांव की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एनी सिमि जॉन कहती हैं उसे एक बार में एक ही काम करने को कहें।

दबाव नहीं डालें

बच्चे पर परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन का दबाव नहीं डालें, पर उसे मेहनत करने के लिए प्रेरित जरूर करें। बच्चे को जीवन में परीक्षा के महत्व के बारे में समझाएं। पर साथ ही यह बताना भी नहीं भूलें कि एक परीक्षा के परिणाम पर हमारा जीवन निर्भर नहीं है।बच्चों को हमेशा से शांत माहौल में पढ़ने की सलाह दी जाती है, इसलिए उन्हें अकेले कमरे में पढ़ने के लिए आप छोड़ देती हैं। पर लगातार कई घंटे पढ़ने के लिए बच्चे पर दबाव नहीं बनाएं। पढ़ाई से बीच-बीच में ब्रेक लेने के लिए भी बच्चे को प्रेरित करें।

ब्रेक लेने के लिए कहें

शोध बताते हैं कि ज्यादा वक्त तक बैठना उपयोगी नहीं होता। लगातार 50 से 90 मिनट तक बैठना सही माना जाता है। अपने बच्चे को हर चार घंटे बाद करीब 15 मिनट का ब्रेक लेने को कहें। यह दिमाग को सूचनाएं याद रखने में मदद करता है। उसे बाहर वॉक करने के लिए कहें। ऑक्सीजन रक्त संचार को बढ़ाता है। फिजिकल एक्टिविटी भी तनाव कम करती है।

पावर फूड दें

पढ़ाई के दौरान दिमाग सारे ग्लुकोज का उपभोग कर लेता है। कोलकाता की न्युट्रिशनिस्ट हीना नफीस कहती हैं बच्चे को पढ़ाई के दौरान शरीर को फिर से फ्यूल देना पढ़ता है। उसे ओमेगा थ्री और मेग्नीशियम और आयरन की ज्यादा मात्रा वाला भोजन दें। उसे नट्स, किडनी बीन्स और ताजे फल खाने को दें।