शर्मीले बच्चों में इस तरह बढ़ाए आत्मविश्वास, बनता हैं उनके विकास में बाधा

हर बच्चे का अपना अलग स्वभाव होता हैं जिसके अनुरूप ही वह दूसरों के साथ पेश आता हैं। कई बच्चे होते हैं जो शर्मीले स्वभाव के होते हैं और आसानी से दूसरों के साथ घुलमिल नहीं पाते हैं। शर्मीलापन स्वभाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं लेकिन यह बच्चे के विकास में बाधा भी बन सकता हैं। ऐसे में पेरेंट्स के सामने यह बड़ी चुनौती बनती हैं कि किस तरह बच्चों का यह शर्मीलापन दूर किया जाए ताकि वे अपनी बात कहने में कभी हिचकिचाहट महसूस ना करें। आज इस कड़ी में हम आपक पेरेंट्स के लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जिनकी मदद से बच्चों में आत्मविश्वास को बढ़ाया जा सकता हैं।

दूसरों के सामने बच्चे को शर्मीला न बोलें

ज्यादातर भारतीय पैरेंट्स में ये आदत होती है कि वो दूसरों के सामने भी अपने बच्चों को शर्मीला बताते हैं, जबकि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए इससे आपके बच्चे पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए आप अपने बच्चे को शर्मीले के रूप में लेबल न करें, दूसरों को यह समझाने की कोशिश करें कि आपका बच्चा दूसरों को गर्म करने के लिए धीमा है, लेकिन व्यवहार को लेबल न करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करें। इससे आपके बच्चे को बाहर खुलने का मौका मिल सकता है।

सामाजिक स्थितियों का सामना कराएं

सामाजिक रूप से बच्चे को असुविधाजनक सामाजिक परिस्थितियों में या बिना धक्का दिए आप अपने बच्चे को सामाजिक आत्मविश्वास सीखाएं और उनका इसमें समर्थन करें। छोटे समूहों या नियंत्रित सामाजिक स्थितियों के साथ बच्चों की शुरुआत कराएं। आप इसके लिए बच्चे के किसी उम्र का इंतजार न करें बल्कि बचपन से ही उन्हें इसकी आदत डलवाएं।

व्यवहार पर नजर रखें

शर्मीले बच्चों के पीछे उनका व्यवहार होता है जो उन्हें इस स्थिति में ढालने का काम करता है, जबिक बचपन से ही बच्चों पर उनके माता-पिता द्वारा नजर रखी जानी चाहिए। ये उनके व्यवहार पर जोर देने जैसा हो सकता है और शेमिंग से बचा सकता है। इसके साथ ही आप अपने बच्चों को अपने बचपन की बातें बता सकते हैं और उन्हें बताएं कि आपने अपने समय में क्या-क्या किया और आपको किन गतिविधियों से फायदा हुआ।

अजनबियों से न डरने की सलाह दें

बच्चे अक्सर किसी भी अनजान से या कभी-कभी किसी से मिलने की स्थिति में हिचकिचाहट महसूस करते हैं और शर्म महसूस करते हैं। लेकिन आपको उन्हें ये बात बतानी चाहिए कि उन्हें किसी भी अजनबियों से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि इसकी जगह आपको डट कर उनसे बात करनी चाहिए। अपने बच्चे को एक वयस्क के साथ रहने के लिए सिखाने के बजाय उस पर ध्यान केंद्रित करें जो उनकी देखभाल के लिए जिम्मेदार है। ये आपके बच्चे पर ज्यादा प्रभाव डालता है और आपके बच्चे के व्यवहार को बदल सकता है।