जरूरत से ज्यादा ना बनें बच्चों के लिए प्रोटेक्टिव, व्यक्तित्व पर पड़ेगा बुरा असर

कुछ माता-पिता अपने बच्चों को लेकर जरूरत से ज्यादा ही चिंतित रहते हैं। अपने बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। माता-पिता का ये बर्ताव बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डालता है। हर माता-पिता अपने बच्चे की अच्छी से अच्छी पेरेंटिंग करने की कोशिश करते हैं क्योंकि वो चाहते हैं उनका बच्चा अपनी लाइफ में सफल बने लेकिन ऐसे में देखा गया है की पेरेंट्स जरूरत से ज्यादा बच्चे को सिखाने की कोशिश करते हैं, जरूरत से ज्यादा सपोर्ट करते है और जरूरत से ज्यादा निगरानी भी करते हैं ऐसी अवस्था को ओवर प्रोटेक्टिव पेरेंटिंग कहते हैं ओवर प्रोटेक्टिव पेरेंटिंग से बच्चे के व्यक्तित्व पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

क्या-क्या करते हैं पेरेन्ट्स

बच्चे के स्कूल वर्क में अनावश्यक मदद करना, घर का कोई काम बच्चे से न करवाना, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से बच्चे की झूठी तारीफ करना, बच्चे की गलतियों का सारा दोष अपने ऊपर लेकर बच्चे को हमेशा बचाना, बच्चे की सोशल लाइफ में ज्यादा दखल देना।बच्चे की अपनी सोच- याद रखिए, बच्चे को जन्म भले ही आपने दिया है, लेकिन उसका अपना एक व्यक्तिगत स्वभाव भी है। बच्चे का अपना व्यक्तित्व विकसित ही नहीं हो पाएगा, अगर आप अपनी सोच ही उस पर हावी किए रहेंगी। आप दिन भर उसे अपने हिसाब से चलाना चाहती हैं, लेकिन आपके हिसाब के चलते-चलते वो अपना खुद का हिसाब कभी पहचान ही नहीं पाएगा।

बच्चों पर अनुशासन थोपे न


ओवर प्रोटेक्टिव पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चो पर अनुशासन को एक बड़ी चुनौती की तरह पेश करते हैं। बच्चों को लेकर मां-बाप का पजेसिव होना सामान्य बात है। लेकिन, समस्या तब आती है, जब हम बच्चों को बिल्कुल भी आजादी नहीं देते। बच्चों को बेशक अनुशासन में रहना सिखाना चाहिए, लेकिन यह सब उन पर थोपना नहीं चाहिए। बच्चे कम उम्र में भी अपनी तरफ से (कुछ अपवादों को छोड़कर) पूरी कोशिश करते हैं, कि वे माता-पिता की उम्मीदों पर खड़े उतरें।

सुरक्षा के नाम पर पाबंदी न लगाएं

हम बच्चे के अंदर अधिक-से-अधिक सुरक्षा की भावना देना चाहते हैं। बच्चों को सुरक्षित रखने की हमारी इच्छा में, यह ध्यान रखना भूल जाते हैं कि क्या हम बच्चों के अनुभव से बढ़ कर कुछ उन पर थोप तो नहीं रहे हैं? घर के अंदर हम अपने छोटे बच्चों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए इतने खो चुके हैं, कि हम उन्हें सबसे बुनियादी चीजों की भी आनंद लेने से रोकते हैं। इस प्रकार हम बच्चों को ओवरप्रोटेक्ट करना शुरू कर देते हैं।

तभी परफॉर्म करेगा बच्चा


ओवरप्रोटेक्टिव मां के बच्चे चाहते हैं कि हमेशा कोई इस बात पर नजर रखे कि वो सब कुछ सही कर रहे हैं या नहीं। ऐसा न होने पर बच्चा काम करने की हिम्मत तक नहीं कर पाता है। पूरी तैयारी के बाद भी बच्चा परफॉर्म करते समय पीछे हट जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि आप बच्चे से थोड़ी दूरी बनाएं। उसे आत्मनिर्भर होने का मौका दें। ये बात समझ लीजिए कि ऐसा किए बिना बच्चे को आगे बढ़ने का रास्ता कभी नहीं मिल पाएगा।