इस तरह बनाए बच्चों के साथ बेहतर तालमेल, आत्मविश्वास बढ़ने के साथ बनेंगे आत्मनिर्भर

हर पेरेंट्स की चाहत होती हैं कि बच्चों को बेहतर कल के लिए तैयार किया जाए ताकि वो अपना आने वाला जीवन मजबूत बुनियाद के साथ संभल सकें और तरक्की कर पाए। इसके लिए बच्चों को बचपन से ही कई चीजें सिखाने की जरूरत होती है और उसके लिए जरूरी हैं पेरेंट्स का बच्चों के साथ अच्छा तालमेल होना। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जिनकी मदद से बच्चों के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी और बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ने के साथ ही वे आत्मनिर्भर भी बनेंगे। तो आइये जानते है इन टिप्स के बारे में।

समय के साथ अनुशासन में संतुलन
समय के साथ अनुशासन में संतुलन जरूरी है जिससे बच्चे को पता चल जाता है कि कुछ नियम हैं, जिनका उसे पालन करना है पर जरूरत पड़ने पर कभीकभी इन्हें थोड़ाबहुत बदलाव भी किया जा सकता है। इस के विपरीत यदि आप हिटलर की तरह हर समय में उस के ऊपर कठोर अनुशासन की तलवार लटाकाए रहेंगे तो संभव है उस के अंदर विद्रोह की भावना जल उठे।

घरेलू कामकाज में करें शामिल
बच्चों पर थोड़ी जिम्मेदारी डालते हुए उन्हें घरेलू कामकाज में शामिल करें। बच्चे में शुरू से ही अपने काम खुद करने की आदत डालें। मसलन, अपना कमरा, बिस्तर, कपड़े आदि सही करने से ले कर दूसरी छोटीमोटी जिम्मेदारियों का भार उस पर डालें। समय के साथ आप राहत महसूस करेंगे और बाद में उन्हें जीवन में अव्यवस्थित देख कर गुस्सा करने की संभावना खत्म हो जाएगी।

अच्छी आदतों की सीख
अच्छी आदतों की सीख देना बहुत जरूरी होता हैं। घर में एकदूसरे के साथ कैसे पेश आना है, जिंदगी में किन आदर्शों को अहमियत देनी है, अच्छाई से जुड़ कर कैसे रहना है और बुराई से कैसे दूरी बढ़ानी है जैसी बातों का ज्ञान ही संस्कार हैं।

थोड़ी आजादी जरूरी है
बच्चे को जबरदस्ती किसी बात के लिए नहीं मनाया जा सकता। मगर जब आप सही-गलत का भेद समझा कर फैसला उस पर छोड़ देंगे तो वह सही रास्ता ही चुनेगा। थोड़ी आजादी जरूरी है, उस पर किसी तरह का दबाव डालने से बचें। बच्चा जितना ज्यादा अपनेआप को दबाकुचला महसूस करेगा उस का बरताव उतना ही उग्र होगा।

सजा और इनाम दोनों जरूरी
बच्चों के काम के हिसाब से उन्हें सजा और इनाम दोनों देना जरूरी हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो बच्चे को निश्चित ही इस का फायदा मिलेगा। वह बुरा करने से घबराएगा और अच्छा कर इनाम पाने को उत्साहित रहेगा। यहां सजा देने का मतलब शारीरिक तकलीफ देना नहीं है, बल्कि यह उसे मिलने वाली छूट में कटौती कर के भी दी जा सकती है जैसे टीवी देखने के समय को घटा या घर के कामों में लगा कर।

उसकी पसंद का करें सम्मान
आप का बच्चा जवान हो रहा है और चीजों को पसंद और नापसंद करने का उस का अपना नजरिया है, इस सचाई को समझने का प्रयास करें। अपनी इच्छाओं और पसंद को उस पर थोपने की कोशिश न करें। किसी बात को ले कर बच्चे पर तब तक दबाव न डालें जब तक कि आप के पास इस के लिए कोई वाजिब वजह न हो। उसकी पसंद का सम्मान करेंगे तो वो आपकी पसंद को अपनाएगा।