हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे और नेक इंसान बने और इसके लिए वे हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की बच्चे कई बुरी आदतें अपने पेरेंट्स से ही सीखते हैं। जी हां, आप चाहे बच्चों को कितना ही समझा दे, वें उन्हीं का चीजों का अनुसरण करते हैं जिनका उनके पेरेंट्स करते हैं। ऐसे में अनजाने में ही सही पेरेंट्स ही बच्चों की गलत आदतों का कारण बनते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताने जा रहें हैं जिनमें आपको बदलाव लाना पड़ेगा तभी इसका असर आपके बच्चों पर पड़ेगा।
अनहेल्दी डायट
कभी पूरियां खाने का मन करता है, कभी समोसे, तो कभी पिज़्ज़ा… माना आप खाने के शौक़ीन हैं, लेकिन अपने बच्चों को जंक फूड खाने से रोकना चाहते हैं, तो ये उनके साथ अन्याय ही होगा। हम इतने बड़े होकर अपने खाने की आदतों को नहीं बदल पाते, तो छोटे बच्चों से कैसे उम्मीद करते हैं कि वो हेल्दी फूड खाएंगे? हेल्दी डायट स़िर्फ बच्चों के लिए ही नहीं सभी के लिए ज़रूरी है। आप हेल्दी खाएंगे, तो बच्चों को बेहतर तरी़के से कंविन्स कर पाएंगे कि वो भी जंक फूड कम खाएं।
आलस करना
बच्चों को कहते हैं कि अर्ली टु बेड, अर्ली टु राइज़… पर ख़ुद लेट नाइट पार्टीज़ या फिर देर तक लैपटॉप पर ऑफिस का काम करना… सोशल साइट्स पर एक्टिव रहना, सुबह जल्दी उठने में आनाकानी करना, पानी का ग्लास तक भी ख़ुद उठकर न लेना, नहाने में आलस करना… ये तमाम बातें अपने आप में विरोधी हैं। इसके लिए घर में जल्दी सोने व समय पर उठने का माहौल शुरू से बनाएं। अपने-अपने काम ख़ुद करने की ट्रेनिंग सबको दें। अपने पानी व दूध का ग्लास, खाने के बर्तन ख़ुद उठाकर रखना, अपने कपड़ों को सही जगह पर रखना आदि सभी को करना चाहिए। इससे एक व्यक्ति पर काम का अधिक बोझ भी नहीं होगा और सबको अपने काम करने व अनुशासन में रहने की आदत भी पड़ेगी।
झूठ बोलना
कभी रिश्तेदारों के सामने, तो कभी दोस्तों के साथ या कभी बच्चों से ही हम झूठ बोलते हैं। किसी का फोन आता है, तो हम बच्चों को बोलते हैं कि कह दो पापा/मम्मी घर पर नहीं हैं… ये तमाम बातें बच्चे हमसे ही सीख लेते हैं और फिर वो उनके व्यवहार में भी शामिल होने लगती हैं। उन्हें लगता है झूठ बोलना ग़लत नहीं है। मम्मी-पापा भी तो बोलते हैं। ख़ुद को बचाने के लिए, तो कभी यूं ही बिना किसी वजह के वो टीचर से, दोस्तों से और यहां तक कि हमसे भी झूठ बोलने लगते हैं। इसके लिए झूठ, फरेब व निंदा से बचें। बच्चों से छोटे-मोटे झूठ न बुलवाएं। आपको भले ही यह लग रहा हो कि बच्चा अपने खेल में मग्न है, लेकिन बच्चे दरअसल बहुत बारीक़ी से हमें ऑब्ज़र्व करते हैं और ऐसी चीज़ें जल्दी सीखते हैं।
रेस्पेक्ट न करना
हो सकता अपनी सास से आपकी ट्यूनिंग इतनी अच्छी न हो या हो सकता है कोई पड़ोसी आपको पसंद न हो, पर अपना आक्रोश व रोष बच्चों के सामने जताने से बचें। आप अगर दूसरों को इज़्ज़त नहीं देंगे, तो बच्चे आपको भी रेस्पेक्ट नहीं देंगे। वो भी अपनी दादी से, अपने अंकल से दूर होते जाएंगे और उनकी नज़रों में उनका सम्मान कम होता जाएगा। आपके आपसी मतभेद कितने भी गहरे हों, एक-दूसरे को अपशब्द कहने से बचें। बच्चों के सामने अपने ग़ुस्से पर नियंत्रण रखें। अपनी शिकायतें आपसी बातचीत से हल करने की कोशिश करें। बच्चों के सामने चुगली व निंदा करने से बचें।
गाली देना या ग़लत भाषा का प्रयोग
अधिकांश पुरुष न स़िर्फ ग़ुस्से में, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी व बातचीत में भी गालियों का बहुत प्रयोग करते हैं। उनके लिए यह एक सामान्य बात है, यहां तक कि वो घर पर भी इसी तरह से बात करने से परहेज़ नहीं करते। पर ध्यान रखें कि आपका बच्चा आपको गाली देते देखेगा, तो बाहर जाकर दोस्तों के बीच उसका प्रयोग भी करेगा। ज़ाहिर-सी बात है, गाली देने से बचें। मज़ाक में भी बच्चों के सामने ऐसी भाषा का प्रयोग न करें। सबको सम्मान देना, सबसे प्यार से बात करना कितना ज़रूरी है, इसका महत्व बच्चों को समझाना ज़रूरी है और वो आप ख़ुद अपने व्यवहार से ही समझा सकते हैं।
बहुत अधिक गैजेट्स का प्रयोग करना
हमेशा मोबाइल व लैपटॉप पर रहना और बच्चों से यह कहना कि मोबाइल इतना अधिक यूज़ मत करो, कितना जायज़ है? इसके लिए बच्चों के साथ-साथ अपना भी टाइम फिक्स करें कि इससे अधिक न तो आपको मोबाइल का इस्तेमाल करना है और न ही सोशल साइट्स पर रहना है। सबके लिए समान नियम रहेगा, तो बच्चों के लिए उसे व्यवहार में शामिल करना आसान होगा।