बच्चों का पढ़ाई में मन लगाने के लिए लें इन टिप्स की मदद

हर बच्चे की अपनी एक अलग दिमागी क्षमता होती है। कोई इसका उपयोग क्रिएटिव चीजों में करता है, तो कोई खेल-कूद में। कई बार बच्चे अपने शिक्षकों और माता-पिता की उम्मीदों से भी प्रभावित होते हैं, जो अक्सर स्कूषल टेस्टत और एक्जाेम में अच्छे नम्ब्र लाने को लेकर होता है। लेकिन यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि बच्चेज पर हर समय दबाव डालना भी सही नहीं है। यदि आपका बच्चा पढ़ने में पीछे है या आपकी उम्मीहदों पर खरा नही उतर पा रहा है, तो आप उसे डांटने के बजाय इन टिप्स को अपनाएं।

सही जगह का चुनाव

बच्चे के लिए पढ़ाई का वो कमरा चुनें जहां शांति और शोर शराबा न हो। बैठने के लिए सही तरीके से कुर्सी-मेज की व्यवस्था हो और कॉपी किताबें बिल्कुल व्यवस्थित ढंग से रखी हों। इस तरह के माहौल में बैठकर पढ़ाने से बच्चे का मन इधर-उधर नहीं भटकेगा।

मानसिक रूप से सहयोग करें

यदि बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है और आप इससे परेशान हैं, तो उनसे इस विषय पर बात करें। उन्हें विश्वास दिलाएं कि आप उनकी समस्या को समझेंगे और फिर उनकी मदद करेंगे। ऐसा करने से बच्चे खुलकर अपनी समस्या को बताएंगे और आप आसानी से इसका कोई उपाय ढूंढ पाएंगे। कई मां-बाप ऐसी स्थिति में बच्चों को डांट-फटकार लगाने लगते हैं, जोकि गलत है। आपका कर्तव्य है कि आप बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने के मुख्य कारणों को जानने की कोशिश करें।

बच्चे को दोस्ती बनकर सिखाएं और समझाएं

जब भी कभी आप अपने बच्चेप को पढ़ाई हो या डेली लाइफ से जुड़ी कोई बातें समझाते हैं, तो उसके दोस्तख बनकर उसे बताएं और समझाएं। इससे वह आसानी से आपकी बात समझेगा और आपकी बात को तव्वोजो देगा, न कि भाषण समझेगा। ठीक इसी प्रकार आप उसे पढ़ाइ्र के लिए भी प्रेरित और उत्‍साहित कर सकते हैं।

धीरे-धीरे समय बढाएं


अगर आपके बच्चे ने अभी कुछ ही दिनों पढना शुरु किया है तो एकदम से बहुत देर तक बैठ कर न पढाएं। ऐसा करने से उसमें एकाग्रता की कमी हो जाएगी। पढाई के प्रति बच्चे की रुचि बढाने के लिए जरूरी है कि धीरे-धीरे उसके पढ़ने के समय को बढाएं।

उन विषयों पर फोकस करें, जहां परेशानी अधिक है


कई बार बच्चों में किसी खास विषय को लेकर भी परेशानी होती है। ऐसी सिचुएशन में आपका बच्चा जिस विषय में कमजोर हो उन पर अधिक ध्यान दें। यह जरूरी नहीं कि स्कूल में टीचर ने पढ़ाया है, सभी बच्चों को एक समान समझ में आ ही जाए। हो सके तो उनके स्कूल-नोट्स से आप खुद उन्हें समझाने की कोशिश करें या फिर ऐसे बच्चों की पढ़ाई किसी अच्छे ट्यूशन टीचर से भी करवा सकते हैं। इससे बच्चे को अपनी समस्यायों पर ज्यादा समय मिल सकेगा ।