प्राचीन काल से, वस्त्र बनाने के लिए कपास का उपयोग किया जा रहा है। कपास के पौधे से निर्मित सूती वस्त्र पूर्णतया प्राकृतिक होते हैं। विभिन्न प्रकार के कपडे जैसे शर्ट, ब्लाऊज, अंतर्वस्त्र तथा चादर बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। गर्मियों में घमौरियों से बचने के लिए सूती कपड़े का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। आइये सूती कपड़ों से जुड़े ओर फायदों के बारे में।
# सूती कपड़ा एक तौलिये की भांति कार्य करता हैं, जो कि त्वचा पर उपस्थित तरल को सोंखता है तथा नमी को दूर करता हैं।
# आध्यात्मिक शोध से यह ज्ञात हुआ कि प्राकृतिक होने के कारण कपास में उच्च स्तरीय आध्यात्मिक शुचिता होती है। प्राकृतिक तंतु जैसे कपास अथवा रेशम से बने कपडों में वातावरण से चैतन्य आकर्षित करने की क्षमता होती है।
# गर्मियों में गर्मी से और सर्दियों में सर्दी से रक्षा के लिए फाइबर के कपड़ों में सूती कपडे फाइबर और हवा के बीच थर्मल इंसुलेशन के रूप में कार्य करता हैं।
# ऐसे वस्त्रों के सान्निध्य में रहना त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। सूती कपडे तत्काल त्वचा से पसीना सोख लेते हैं, जिससे त्वचा चिपचिपी नहीं होती। इससे वह स्वस्थ एवं कांतिमय बनती है।
# धुले एवं इस्त्री किए हुए सूती वस्त्र, स्वयं रंगे अथवा अल्प कलाकारी युक्त कपडे आध्यात्मिक सकारात्मकता ग्रहण करने और संजोने में सहायक होते हैं।
# उत्सवों और धार्मिक विधियों के समय वतावरण में अधिक चैतन्य रहता है, उस समय सूती वस्त्र पहनना अधिक लाभदायक होता है, क्योंकि सूती वस्त्रों में रासायनिक तंतुओं से बने कपडों की अपेक्षा आध्यात्मिक सकारात्मकता लंबे समय तक संजोई जाती है।