भारत के सबसे ऐतिहासिक और महानगरीय शहरों की बात करें तो उनमें से एक हैं कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता उन लोगों के लिए वन-स्टॉप डेस्टिनेशन है जो आर्किटेक्चर, पेंटिंग, कला और संस्कृति से खास लगाव रखते हैं। कोलकाता अभी तक अपनी विरासत को बरकरार रखने में कामयाब रहा है। शहर की आश्चर्यजनक वास्तुकला को आप यहां स्थित कई संरचनाओं में देख सकते हैं। आधुनिकता की दौड़ में जहां कई बड़ी इमारतें बन चुकी हैं, वहीँ आज भी कोलकाता में कई पुरानी इमारतें हैं जो अपनी कहानियां व्यक्त करती हैं। आज हम आपको कोलकाता में स्थित कुछ प्रसिद्ध पुरानी इमारतों के बारे में बता रहे हैं।
राइटर्स बिल्डिंग इस प्रतिष्ठित इमारत को पहली बार 1780 में जनता के लिए खोला गया था। राइटर्स बिल्डिंग बी।बी।डी। बाग में स्थित है, जिसे पहले डलहौजी स्क्वायर के नाम से जाना जाता था। यह भवन पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और राज्य के अन्य अधिकारियों के कार्यालय का घर था। यह अभी राज्य सरकार का सचिवालय भवन है, लेकिन पहले यह ईस्ट इंडिया कंपनी के जूनियर क्लर्क का घर हुआ करता था। अधिकांश महत्वपूर्ण कार्यालय एक नए भवन में स्थानांतरित कर दिए गए हैं। इमारत के शीर्ष पर मिनर्वा रोमन देवी की मूर्ती स्थापित है।
विक्टोरिया मेमोरियलविक्टोरिया मेमोरियल एक बेहद भव्य स्मारक है। इसे महारानी विक्टोरिया की स्मृति में बनाया गया था। विक्टोरिया मेमोरियल को 1921 में एक संग्रहालय के रूप में जनता के लिए खोल दिया गया था। 64 एकड़ में फैले इस संग्रहालय में कई कलाकृतियां, हथियार और गोला-बारूद, महारानी विक्टोरिया के चित्र और कई दुर्लभ किताबें हैं। संग्रहालय में 25 गैलरी हैं। स्मारक की वास्तुकला दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डिजाइनों में से एक है। इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट विलियम इमर्सन ने डिजाइन किया था।
मार्बल पैलेसएक ब्यूटीफुल और एलीगेंट बिल्डिंग जिसमें संगमरमर की दीवारें और फर्श हैं, इसे एक बंगाली व्यापारी राजा राजेंद्र मलिक ने बनवाया था। न्यूक्लॉसिकल स्टाइल में निर्मित, इमारत में ओपन कोर्टयार्ड हैं जो पारंपरिक बंगाली वास्तुकला में आम है। आज इसमें कई विक्टोरियन पेंटिंग और बहुत कुछ है। भवन में प्रवेश करने से पहले आपको पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक निजी आवास है।
जोरासांको ठाकुर बारी टैगोर परिवार का महलनुमा घर आज एक संग्रहालय है। इसी घर में रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ था। टैगोर परिवार के अधिकांश सदस्य उस समय कलाकारों से लेकर उच्च अधिकारियों, विचारकों, बुद्धिजीवी और लेखक हुआ करते थे। रवींद्रनाथ टैगोर के दूसरे सबसे बड़े भाई, सत्येंद्रनाथ टैगोर असल में सिविल सेवा में शामिल होने वाले पहले भारतीय थे। जबकि, उनके पिता देवेंद्रनाथ टैगोर एक धार्मिक सुधारक और दार्शनिक थे, साथ ही ब्रह्मो धर्म के संस्थापक भी थे।
बेलूर मठबेलूर मठ स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है। मठ की वास्तुकला में हिंदू, इस्लामी, बौद्ध और ईसाई कला और रूपांकनों जैसे विभिन्न तत्वों का मिश्रण देखा जा सकता है। कला के विभिन्न तत्वों के उपयोग के पीछे का विचार सभी धर्मों के बीच एकता का संदेश देना है। बेलूर मठ 40 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और यह हरे भरे परिसर से घिरा हुआ है। यह मठ हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। 20वीं सदी का बेलूर मठ भारत का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र है।
सोवाबाजार राजबारीसोवाबाजार राजबाड़ी एक और प्रतिष्ठित विरासत इमारत है जिसे विशेष रूप से दुर्गा पूजा के दौरान अवश्य देखना चाहिए। यह बंगाल के सबसे पुराने शाही घरों में से एक है। राजा नबकृष्ण द्वारा निर्मित, यह इमारत अपने भव्य दुर्गा पूजा समारोहों के लिए और बंगाली संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने के लिए भी प्रसिद्ध है, जब यूरोपीय संस्कृति देश और शहर पर हावी थी।
स्टार थियेटर 1883 में निर्मित, यह कोलकाता के पहले व्यावसायिक सिनेमा हॉल में से एक है। आपको बता दें, पहली बंगाली मोशन पिक्चर यहां प्रदर्शित की गई थी और आग लगने के बावजूद, जिसकी वजह से इमारत आधी नष्ट हो गई थी, इसके अधिकांश हिस्सों को कोलकाता नगर निगम द्वारा बहाल कर दिया गया है। इमारत का अंदरूनी इंटीरियर काफी समकालीन है। यहां अभी भी सप्ताह के दो दिन नाटकीय प्रदर्शन किया जाता है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिरदक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण 1847 में एक जमींदार और परोपकारी रानी रश्मोनी द्वारा निर्मित कराया गया था। देवी काली का मंदिर कोलकाता का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है। मंदिर में मां काली के अवतार मां भवतारिणी की पूजा की जाती है। 25 एकड़ में फैले इस मंदिर में हर रोज देश भर से हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर दक्षिणेश्वर में स्थित है और इसलिए इसे दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से जाना जाता है।